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Sawan 2018 : सावन के महीने में सोमवार का व्रत रखकर करेंगे इन मंत्रों का जाप तो पूरी होगी मनोकामना

Shiv Puja In Sawan Month 2018 : इस साल सावन का यह पवित्र महीना 28 जुलाई से शुरु हो रहा है। इस बार सावन के महीने में पांच सोमवार पड़ रहे हैं।

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नोएडा। हिंदू धर्म में सावन के सोमवार का विशेष महत्व है। सभी जानते हैं कि सावन के माह में शिवजी की पूजा की जाती है। सभी भक्त सोमवार को भगवान शिव का व्रत रखते हैं और फल-फूल व मिष्ठान आदि से शिव जी की पूजा करते हैं। इस साल सावन का यह पवित्र महीना 28 जुलाई से शुरु हो रहा है। इस बार सावन के महीने में पांच सोमवार पड़ रहे हैं। इस महीने में वृत रखने के साथ ही लोग दूर-दूर से कांवड़ भी लेकर आते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। नोएडा स्थित प्रसिद्ध लाल मंदिर के पुजारी पं. विनोद कुमार शास्त्री कहते हैं कि सावन के सोमवार का व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरे पहर तक किया जाता है। शिव पूजा के बाद सोमवार व्रत की कथा सुननी आवश्यक है। व्रत करने वाले को दिन में एक बार भोजन करना चाहिए।

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सावन सोमवार व्रत के प्रकार
सावन सोमवार के व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार सोमवार के व्रत तीन तरह के होते हैं। सोमवार, सोलह सोमवार और सौम्य प्रदोष। इस व्रत को सावन माह में आरंभ करना शुभ माना जाता है।

सावन सोमवार व्रत फल
सोमवार व्रत नियमित रूप से करने पर भगवान शिव तथा देवी पार्वती की कृपा बनी रहती है। साथ ही मनोकामना भी पूरी होती है।

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सावन में ऐसे करें शिव की पूजा

1.सावन के सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में सोकर उठें।

2.पूरे घर की सफाई कर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं।

3.गंगा जल या पवित्र जल पूरे घर में छिड़कें।

3.घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें।

4.पूजन की पूरी तैयारी के बाद निम्न मंत्र से संकल्प लें-

'मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमव्रतं करिष्ये'

5.इसके पश्चात निम्न मंत्र का जाप करें

'ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्‌।
पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्‌॥
ॐ नमः शिवाय' से शिवजी का तथा 'ॐ शिवायै' नमः से पार्वतीजी का षोडशोपचार पूजन करें।

6.पूजन के बाद व्रत कथा सुनें व आरती कर प्रसाद वितरण करें। इसके बाद भोजन या फलाहार सेवन करें।