
Rail Link Line
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर की रेल लिंक लाइन बनकर तैयार हो गई है। लाइन का आखिरी ट्रायल भी पूरा हो चुका है। रेल लिंक लाइन के शुरू होने से उत्तर प्रदेश को औद्योगिक क्षेत्र में बड़ा लाभ मिलने वाला है। इससे यूपी-एनसीआर से लेकर मुंबई-कोलकाता तक व्यापार करना आसान होगा। दरअसल, ईस्टर्न कॉरिडोर लुधियाना से कोलकाता और वेस्टर्न कॉरिडोर नोएडा के दादरी से मुंबई तक है। इन दोनों कॉरिडोर को जोड़ने के लिए ग्रेटर नोएडा के बाकी के रेल स्टेशन से खुर्जा तक करीब 50 किमी लंबी रेल लिंक लाइन बिछानी है। लिंक के चालू होते ही दिल्ली-एनसीआर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कारोबारी अपना माल एक शहर से दूसरे शहर तक सस्ते रेल भाड़े में आयात और निर्यात कर सकेंगे।
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से कई राज्यों को फायदा
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के शुरू होने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र को फायदा होगा। एक मालगाड़ी अभी तक एक बार में सिर्फ 5 हजार टन माल ढुलाई करती है, जबकि इस कॉरिडोर पर चलने वाली 500 डिब्बों की मालगाड़ी एक बार में 13 हजार टन माल लेकर जाएगी। इससे हरियाणा को भी फायदा होगा। हरियाणा के पानीपत और यमुनानगर में प्लाईवुड और मेटल की करीब दो हजार से ज्यादा इंडस्ट्री है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद का लोहा, बुलंदशहर के खुर्जा की पॉटरी, मेरठ का क्रिकेट गुड्स और किताबें, मुजफ्फरनगर का गुड़, सहारनपुर का फर्नीचर, अलीगढ़ और मुरादाबाद का पीतल देशभर में सप्लाई होता है।
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर रेल लिंक लाइन पर सिर्फ मालगाड़ियां आएंगी। जो मालगाड़ियां सामान्य लाइन पर औसत 25 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से चलती हैं, वह नए कॉरिडोर पर 75 से 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेंगी।
कॉरिडोर बनने से होंगे ये फायदे
प्रमुख रेल लाइनों से मालगाड़ियां हटाकर डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर शिफ्ट कर दी जाएंगी। इससे सामान्य रेल लाइनों पर यातायात का दबाव कम होगा। रेल की माल ढुलाई सस्ती होने से सड़क रास्तों से माल ढुलाई में कमी आएगी। इससे सड़क हादसे भी कम होंगे।
रेल लिंक लाइन की प्रमुख बातें
- एक बार में 13 हजार टम मान ढुलाई
- ट्रेन को एक साथ तीन इंजन खींचेंगे
- माल की ढुलाई से खर्चों में बचत
- सामान्य रेल लाइन पर ट्रैफिक होगा कम
Published on:
16 Aug 2022 06:48 pm
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