
नोएडा। रियल एस्टेट (Real Estate) में तेजी से नाम कमाने वाले आम्रपाली ग्रुप (Amrapali Group) के मामले में नोएडा व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण (Greater Noida) के अधिकारियों पर शिकंजा कस सकता है। कारण, आम्रपाली ग्रुप के सैकड़ों करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) मामले में प्रवर्तन निदेशायल (ED) कुछ अधिकारियों से जल्द पूछताछ कर सकती है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों पर नियम कायदों को दरकिनार करते हुए बिल्डर को नए प्रोजेक्ट की अनुमति देने के आरोप हैं। जिसे लेकर प्राधिकरण के कई अधिकारी ईडी की रडार पर हैं।
अधिकारियों को कम कीमत पर दिए फ्लैट
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रधिकरण के अधिकारियों ने पुराने प्रोजेक्टों के भुगतान नहीं किए जाने के बावजूद नए प्रोजेक्ट शुरू करने की इजाजत दे दी गई। जिसके चलते बिल्डर ने होम बायर्स की खून पसीने की कमाई को इधर से उधर कर दिया। जिससे आज भी हजारों बायर्स को 90 फीसदी तक कीमत चुकाने के बाद भी घर नहीं मिल सका है। वहीं आरोप है कि कुछ अधिकारियों को इसकी एवज में बिल्डर द्वारा बहुत ही कम कीमत पर फ्लैट भी दिए गए हैं। इनकी डिटेल भी निकलवाई जा रही है। जानकारी के अनुसार जिन बैंकों ने आम्रपाली ग्रुप को लोन दिया, उनके अधिकारी भई ईडी की रडार पर हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बैंकों ने बिल्डर को गिरवी प्रॉपर्टी की कीमत से कई गुना अधिक लोन दे दिया।
187 करोड़ की संपत्ति हो चुकी अटैच
गौरतलब है कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले ईडी अब तक आम्रपाली ग्रुप से जुड़े जेपी मॉर्गन ग्रुप की 187 करोड़ की संपत्ति अटैच कर चुका है। जिसमें 140 करोड़ रुपये की संपत्ति कोड रिसीवर के माध्यम से कोर्ट को उपलब्ध कराई गई है। जल्द ही जेपी मॉर्गन और आम्रपाली ग्रुप के अधिकारियों से भी ईडी पूछताछ करेगी। वहीं इस मामले में पिछले हफ्ते ही ईडी ने आम्रपाली ग्रुप की कंपनियों के वैधानिक लेखा परीक्षक अनिल मित्तल को गिरफ्तार किया था, जो कि कोरोना पॉजिटिव पाया गया था। जिसका इलाज केजीएमयू में कराया गया। ठीक होने पर उसे जेल भेज दिया गया है।
Updated on:
25 Jun 2020 01:02 pm
Published on:
25 Jun 2020 12:50 pm
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