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नोएडा-ग्रेटर नोएडा में पहुंचा यमुना का पानी, जानिए किस इलाके में कब कहर ढा सकती है बाढ़

यमुना के पानी का रौद्ररूप देखकर खौफजदा हुए लोग तिलवाड़ा इलाके में बाढ़ में बड़ी संख्या में लोग बाढ़ में फंसे मदद करने के लिए अधिकारी और स्थानीय विधायक भी मौके पहुंचे

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ग्रेटर नोएडा. हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया आठ लाख क्यूसेक पानी अब नोएडा और ग्रेटर नोएडा के तटीय गांव में कहर ढहाने लगा है, इसकी चपेट में नोएडा और ग्रेटर नोएडा के 77 गांव आ गए हैं। ग्रेटर नोएडा की इलाके में पडने वाला गांव तिलवाड़ा, घरबरा और मोतीपुर इस समय सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। पानी के अचानक बढ़ने से तिलवाड़ा गांव के 20 से 30 लोग नदी के दूसरे छोर पर फंस गए हैं और लगातार मदद की गुहार कर रहे हैं, ताकि वे गांव वापस लौट सकें उनके साथ काफी सारे मवेशी भी फंसे हुए हैं। उनकी मदद करने के लिए प्रशासनिक अधिकारी और स्थानीय विधायक भी मौके पहुंचे। और सभी सुरक्षित निकालने का अश्वासन दिया।

कभी कमर तक रहने वाला यमुना का पानी आज खौफनाक ढंग से हिलोरे मार रहा है। लोगों पानी के इस विशाल और रौद्र रूप को देख डरे हुए और खौफजदा हैं। उनके जहन में सन 1978 की यादें ताजा हो गई है जब यमुना के पानी ने पूरे इलाके में तबाही मचाई थी। हथिनी कुंड बैराज से छोड़ा गया पानी के चपेट में नोएडा और ग्रेटर नोएडा के कई गांव आ गए हैं ग्रेटर नोएडा की इलाके में पढ़ने वाला गांव तिलवाड़ा घरबरा और मोतीपुर इस समय सबसे ज्यादा प्रभावित हैं पानी के अचानक बढ़ने से तिलवाड़ा गांव के 20 से 30 लोग नदी के दूसरे छोर पर फस गए हैं और लगातार मदद की गुहार कर रहे हैं ताकि वे गांव वापस लौट सकें उनके साथ काफी सारे मवेशी भी फंसे हुए हैं।

तिलवाड़ा गाँव मौजूद लेखपाल जो शासन की तरफ से इस मामले पर नज़र रखे, जब इस बारे में हमने बात की तो उनका कहना था कि मैं तीन दिन से लगातार इन लोगों को समझा रहा था, कि नदी के पार ना जाएं लेकिन यह नहीं माने। लोगो का कहना था कि इससे हमारी फसलों को काफी नुकसान हो जाएगा, अब इनकी मदद के लिए नावों की व्यवस्था की जा रही है।

नोएडा, ग्रेटर नोएडा के तटीय क्षेत्रों में बसे गांव का दौरा कर रहे स्थानीय विधायक भी लोगो के फंसे हुए होने की जानकारी पाकर तिलवाड़ा गांव पहुंच गए। उन्होंने कहा कि अगर नाव से निकालना संभव नहीं हुआ। तो मैं मोटरबोट की व्यवस्था करता हूं । वे कहते हैं कि 40 साल में सबसे ज्यादा पानी इस बार छोड़ा गया है। अगर पानी घरों तक पहुंचता है, तो लोगों के निकालने की उनके पास पूरी व्यवस्था है। इसके अलावा विधायक ने बताया कि इन तटीय गांव तक पहुंचने के लिए सड़क व्यवस्था सही नहीं है। जिसे दुरुस्त कराया जा रहा है ताकि देर रात किसी प्रकार की आपत स्थिति होने पर लोगों को घरों से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सके।

चालीस साल में हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया आठ लाख क्यूसेक पानी सबसे ज्यादा पानी है जिसके कारण 21 तारीख 12 बजे तक जलस्तर और बढ़ेगा और सूचना है की एक से डेढ़ लाख क्यूसेक पानी और छोड़ा जा सकता है। प्रशासन अपनी तरफ से पुख्ता प्रबंध होने की बात कह रहा है। लेकिन 1978 की स्मृतिया लोगो को खौफजदा बना रही है।