
नोएडा. भारत सरकार स्वायत्तशासी संस्था सीएजी यानि नियंत्रक एवं महालेख परीक्षक की एक रिपोर्ट से नोएडा प्राधिकरण में हड़कंप मच गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष-2008-11 के दौरान नोएडा की फार्महाउस योजना को लांच करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से मंजूरी नहीं ली गई थी। जबकि नियमानुसार यह जरूरी थी। लगभग 500 पन्नों वाली रिपोर्ट में इस योजना के आवंटन के तरीके पर भी संदेह जाहिर किया गया है। कहा गया है कि योजना के तहत फार्म हाउसों का नियम विरुद्ध आवंटन करने से सरकारी खजाने को 2,833 करोड़ रुपये का चूना लगा है। रिपोर्ट में नोएडा प्राधिकरण की नीतियों में तमाम गड़बड़ियों का भी हवाला दिया गया है।
सीएजी की रिपोर्ट के बाबत प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी ऋतु माहेश्वरी ने बताया कि अतीत में आवंटन से संबंधित खामियों को सही किया जा रहा है। रिपोर्ट में उठाए गए कुछ बिंदुओं से हम सहमत थे। जबकि कुछ बिंदुओं पर प्राधिकरण ने जवाबी तथ्य भी रखे थे। अंतिम रिपोर्ट का अभी अध्ययन किया जाना बाकी है। ऋतु माहेश्वरी ने कहा कि सीएजी की रिपोर्ट के अध्ययन के बाद सरकार से मिले निर्देशों के अनुरूप कदम उठाए जाएंगे।
157 आवेदकों को 18.37 लाख वर्गमीटर क्षेत्र की जमीन आवंटित
गौरतलब है कि सीएजी ने फार्महाउस योजना के तहत प्लाटों के आवंटन पर कहा है कि वर्ष 2008-11 के दौरान ऐसी दो स्कीम लाई गई थी, जिनमें 157 आवेदकों को 18.37 लाख वर्गमीटर क्षेत्र की जमीन आवंटित की गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों योजनाएं सरकार की पूर्व अनुमति एवं निर्धारित प्रक्रिया के बगैर ही लाई गई थीं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दोनों ही योजनाएं प्राधिकरण की क्षेत्रीय योजना के अनुरूप नहीं थीं, जिसमें रिहायशी क्षेत्र से दूर फार्महाउस के विकास की बात कही गई थी। इसके साथ ही सीएजी ने फार्महाउस प्लॉट के लिए आरक्षित मूल्य कम रखने पर भी सवाल खड़े किए हैं।
14,400 रुपये प्रति वर्गमीटर के स्थान पर 3,100 रुपये में दिए प्लॉट
कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि नोएडा प्राधिकरण ने किसानों से जमीन खरीदी और कंपनियों के दफ्तरों वाले एक विकसित इलाके से सटकर फार्महाउस के प्लॉट आवंटित कर दिए। सीएजी ने भूमि की दरें बहुत कम रखे जाने पर भी सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि बाजार दर के हिसाब से भुगतान की क्षमता रखने वाले आवंटियों को भी 3,100 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से प्लाट दिए गए। जबकि वर्ष 2008-09 में न्यूनतम दर 14,400 रुपये प्रति वर्गमीटर थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इतनी कम दर पर प्लाट आवंटित करना संदेहास्पद है। नोएडा प्राधिकरण के इस काम से आवंटियों को 2,833 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ हुआ, जिससे प्राधिकरण को बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ। रिपोर्ट में प्लॉटों के आवंटन में भी पारदर्शिता नहीं होने की बात कही है।
महिलाओं के मन की बात
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Published on:
18 Dec 2021 11:28 am
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