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Holika Dahan के समय को लेकर दूर हुआ भ्रम, इस शुभ मुहूर्त में होगा होलिका दहन

Holika dahan time 2022 : कुछ विद्वान शाम 6.30 बजे से 8.30 बजे तक प्रदोष काल में होलिका दहन के मुहूर्त को शुभ (Holika Dahan Shubh Muhurat) बता रहे हैं तो कुछ रात एक बजे भद्रा काल (Bhadra Kal) तक दहन के मुहूर्त को उचित बता रहे हैं। इसी तरह कुछ अगले दिन सुबह 6.30 बजे होलिका दहन का समय बता रहे हैं। वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, निशीथ काल तक भद्रा रहने पर भद्रा के मुंह को छोड़ते हुए निशीथ काल से पहले होलिका दहन किया जा सकता है।

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नोएडा

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lokesh verma

Mar 13, 2022

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Holika dahan time 2022 : होलिका दहन के शुभ मुहूर्त (Holika Dahan Shubh Muhurat) को लेकर विद्वानों में इस बार भी काफी मतभेद है। 17 मार्च को होली है। इसलिए होलिका दहन के समय को लेकर विद्वानों के बीच मंथन किया जा रहा है। कुछ विद्वान जहां शाम 6.30 बजे से 8.30 बजे तक प्रदोष काल में होलिका दहन के मुहूर्त को शुभ मान रहे हैं तो कुछ विद्वान रात एक बजे भद्रा काल (Bhadra Kal) तक दहन के मुहूर्त को उचित बता रहे हैं। इसी तरह कुछ विद्वानों का मत है कि पूर्णिमा 18 मार्च दोपहर 12 बजेे तक रहेगी। इसलिए सुबह 6.30 बजे होलिका दहन उचित रहेगा। उनका कहना है कि भद्रा काल में होलिका दहन अशुभ रहता है। वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, निशीथ काल तक भद्रा रहे तो भद्रा के मुंह को छोड़ते हुए निशीथ काल से पहले होलिका दहन किया जा सकता है।

ज्योतिषाचार्य पंडित चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि 17 मार्च को दिन में ही चतुर्दशी तिथि खत्म हो जाएगी और पूर्णिमा तिथि आरंभ हो जाएगी। पूर्णिमा के दिन ही होलिका दहन किया जाता है। उन्होंने बताया कि वैसे भद्रा के दौरान होलिका दहन करना वर्जित होता है। हालांकि ज्योतिष शास्त्र में इसका भी उपाय सुझाया गया है। उन्होंने बताया कि शास्त्रों में कहा गया है कि भद्रा यदि निशीथ काल के बाद तक रहती है तो उस स्थिति में भद्रा का मुंह छोड़कर निशीथ काल से पूर्व होलिका दहन किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस बार भद्रा का मुंह दिन में ही निकलेगा। इससे प्रदोष काल में ही होलिका दहन करना शास्त्रों के अनुसार उचित है।

17 मार्च को शाम 6.39 बजे से 10.15 बजे तक होलिका दहन का समय

पंडित चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि इस तरह 17 मार्च को शाम 6.39 बजे से लेकर 10.15 बजे तक होलिका दहन किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि अगले दिन होलिका दहन करना उचित नहीं रहेगा, क्योंकि होलिका दहन पूर्णिमा तिथि को दिन ढलने के बाद ही करने का प्रावधान है।

भगवान को रंग गुलाल अर्पित कर खेलें होली

उन्होंने बताया कि होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है। इसके अगले दिन रंगों की होली का त्योहार होता है। रंगों की होली के दिन सबसे पहले भगवान के श्री चरणों में रंग गुलाल अर्पित करें। इसके बाद अपने प्रियजनों के साथ प्रेम पूर्वक होली के पर्व का लुल्फ उठाएं।