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गाजियाबाद: ट्रांसफॉर्मर में लगी भीषण आग, बाल-बाल बचे बच्चे 2002 में बनाया गया बॉटेनिकल गार्डन
160 एकड़ में फैला नोएडा का यह बॉटेनिकल गार्डन साल 2002 में बनाया गया है और इसकी देखरेख केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा की जाती है। इसमें 4 हजार साल पुराने पेड़-पौधे भी शामिल हैं। वहीं इसमें 7500 प्रकार के पेड़-पौधे लगाए गए हैं। जिनमें 250 के करीब औषधि बनाने में काम आते हैं। इस बॉटेनिकल गार्डन को 10 जोन में बांटा गया है और हर जोन में अलग-अलग पेड़-पौधे लगाए गए हैं। इसके अलावा यहां विदेशों से भी कई तरह के पौधे लाकर संरक्षित किए गए हैं। यहां एंट्री फ्री है और यह रोजाना सुबह 7 बजे से शाम 8 बजे तक खुला रहता है।
गाजियाबाद: ट्रांसफॉर्मर में लगी भीषण आग, बाल-बाल बचे बच्चे 2002 में बनाया गया बॉटेनिकल गार्डन
160 एकड़ में फैला नोएडा का यह बॉटेनिकल गार्डन साल 2002 में बनाया गया है और इसकी देखरेख केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा की जाती है। इसमें 4 हजार साल पुराने पेड़-पौधे भी शामिल हैं। वहीं इसमें 7500 प्रकार के पेड़-पौधे लगाए गए हैं। जिनमें 250 के करीब औषधि बनाने में काम आते हैं। इस बॉटेनिकल गार्डन को 10 जोन में बांटा गया है और हर जोन में अलग-अलग पेड़-पौधे लगाए गए हैं। इसके अलावा यहां विदेशों से भी कई तरह के पौधे लाकर संरक्षित किए गए हैं। यहां एंट्री फ्री है और यह रोजाना सुबह 7 बजे से शाम 8 बजे तक खुला रहता है।
भगवान कृष्ण के समय का पेड़ भी है मौजूद
नोएडा स्थित इस बॉटिनकल गार्डन में भगवान कृष्ण के समय का भी एक पेड़ मौजूद है। आम भाषा में इस पेड़ को कृष्ण कफ कहते हैं और यह बड़ वृक्ष की प्रजाति है। यहां कुछ ऐसे पेड़ हैं जो देश में कुछ ही संख्या में मौजूद हैं। कहते हैं कि इस पेड़ के पास जो भी मन्नत मांगी जाए वह पूरी हो जाती है। इसके अलावा यहां हरे गुलाब के पौधे भी हैं।
नोएडा स्थित इस बॉटिनकल गार्डन में भगवान कृष्ण के समय का भी एक पेड़ मौजूद है। आम भाषा में इस पेड़ को कृष्ण कफ कहते हैं और यह बड़ वृक्ष की प्रजाति है। यहां कुछ ऐसे पेड़ हैं जो देश में कुछ ही संख्या में मौजूद हैं। कहते हैं कि इस पेड़ के पास जो भी मन्नत मांगी जाए वह पूरी हो जाती है। इसके अलावा यहां हरे गुलाब के पौधे भी हैं।
एक्स-सीटू संरक्षण स्थल
बॉटेनिकल गार्डन एक्स-सीटू संरक्षण स्थल भी है। इसमें पेड़-पौधों की ऐसी प्रजातियों को संरक्षित किया जाता है, जो अपने प्राकृतिक पर्यावास में कभी भी खत्म हो सकते हैं। इस तरह के पौधों को उनके प्राकृतिक पर्यावास से दूर ले जाकर किसी अलग स्थान पर संरक्षित किया जाता है। जबकि इसके उलट सीटू में किसी प्रजाति को उसके प्राकृतिक पर्यावास में ही संरक्षित किया जाता है। उदाहरण के तौर पर हम नेशनल पार्क, बायोस्फीयर रिजर्व, वेटलैंट आदि को देख सकते हैं।
बॉटेनिकल गार्डन एक्स-सीटू संरक्षण स्थल भी है। इसमें पेड़-पौधों की ऐसी प्रजातियों को संरक्षित किया जाता है, जो अपने प्राकृतिक पर्यावास में कभी भी खत्म हो सकते हैं। इस तरह के पौधों को उनके प्राकृतिक पर्यावास से दूर ले जाकर किसी अलग स्थान पर संरक्षित किया जाता है। जबकि इसके उलट सीटू में किसी प्रजाति को उसके प्राकृतिक पर्यावास में ही संरक्षित किया जाता है। उदाहरण के तौर पर हम नेशनल पार्क, बायोस्फीयर रिजर्व, वेटलैंट आदि को देख सकते हैं।
100 फीट के मनुष्य का आकार
यहां एक 100 फीट के मनुष्य का आकार बनाया गया है जिसके चारों तरफ अलग-अलग औषधि बनाने में इस्तेमाल होने वाले पौधे लगाए गए हैं। हर पौधे को शरीर के अंग के हिसाब से लगाया गया है। जिस पौधे के इस्तेमाल से जिस अंग के उपचार के लिए औषधि बनाई जाती है उस पौधे को उसी हिसाब से लगाया गया है। इसके पास में गुरु चरख की मूर्ति भी बनाई गई है। बता दें कि गुरु चरख ने पेड़-पौधे के इस्तेमाल से 500 से अधिक औषधियां तैयार की थी। इसके अलावा यहां पेड़ पौधों से ही भारत का मैप भी बनाया गया है। हालांकि उसे सिर्फ किसी ऊंचे स्थान से ही देखा जा सकता है। यह देश में पहली बार है जो इस तरह का मैप पौधों के इस्तेमाल से बनाया गया है।
यहां एक 100 फीट के मनुष्य का आकार बनाया गया है जिसके चारों तरफ अलग-अलग औषधि बनाने में इस्तेमाल होने वाले पौधे लगाए गए हैं। हर पौधे को शरीर के अंग के हिसाब से लगाया गया है। जिस पौधे के इस्तेमाल से जिस अंग के उपचार के लिए औषधि बनाई जाती है उस पौधे को उसी हिसाब से लगाया गया है। इसके पास में गुरु चरख की मूर्ति भी बनाई गई है। बता दें कि गुरु चरख ने पेड़-पौधे के इस्तेमाल से 500 से अधिक औषधियां तैयार की थी। इसके अलावा यहां पेड़ पौधों से ही भारत का मैप भी बनाया गया है। हालांकि उसे सिर्फ किसी ऊंचे स्थान से ही देखा जा सकता है। यह देश में पहली बार है जो इस तरह का मैप पौधों के इस्तेमाल से बनाया गया है।
75 लोगों की टीम करती है देखरेख
इस गार्डन की देखरेख में 75 लोगों की टीम हर वक्त जुटी रहती है। इनमें 15 कर्मचारी यहां मौजूद लैब में काम करते हैं। इनके अलावा 20 माली व 30 सिक्योरिटी गार्ड भी मौजूद हैं। इसकी फंडिंग केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा की जाती है।
इस गार्डन की देखरेख में 75 लोगों की टीम हर वक्त जुटी रहती है। इनमें 15 कर्मचारी यहां मौजूद लैब में काम करते हैं। इनके अलावा 20 माली व 30 सिक्योरिटी गार्ड भी मौजूद हैं। इसकी फंडिंग केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा की जाती है।
छात्रों के लिए बेहतरीन जगह
बॉटेनिकल गार्डन के डॉक्टर शिव कुमार ने बताया कि शहर के इस बॉटेनिकल गार्डन में देश-विदेश से पेड़-पौधे लाए गए हैं, जो कि शायद ही आम इंसान कहीं देख सकता है। यहां आने पर छात्रों को काफी ज्ञान मिल सकता है इसलिए ये उनके लिए एक बहतरीन जगह है।
बॉटेनिकल गार्डन के डॉक्टर शिव कुमार ने बताया कि शहर के इस बॉटेनिकल गार्डन में देश-विदेश से पेड़-पौधे लाए गए हैं, जो कि शायद ही आम इंसान कहीं देख सकता है। यहां आने पर छात्रों को काफी ज्ञान मिल सकता है इसलिए ये उनके लिए एक बहतरीन जगह है।