मेरठ: शिक्षा के क्षेत्र में एक उत्कृष्ट मुकाम हासिल कर चुका केंद्रीय विद्यालय संगठन रूफ टॉप सोलर फोटो वोलटायिक सिस्टम से बिजली उत्पन्न करने जा रहा है। इस संबंध में एनसीआर-वेस्ट यूपी के कुछ शहरों और पूर्वोत्तर के उन केंद्रीय विद्यालयों में पायलट परियोजना प्रारंभ की जाएगी। जिनकी क्षमता 40 किवा से अधिक है। अभी तक किसी भी बोर्ड और स्कूली संगठनों ने इस तरह का काम शुरु नहीं किया है। इस मामले में सर्वे किया गया है जिसमें मेरठ के साथ एनसीआर के करीब 30 विद्यालयों में लगभग 1.18 मेगावाट क्षमता के ग्रिड से जुड़े रूफ टॉप सोलर पीवी सिस्टम लगाए जा सकते हैं।
मोदी सरकार की है ये योजना
भारत सरकार ने 2022 तक 100,000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जिसमें से 40,000 मेगावाट ग्रिड से जुड़े रूफटाप सोलर पीवी प्लांट से प्रस्तावित है। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा ‘ग्रिड कनेक्टेड रूफ टॉप एंड स्माल सोलर पॉवर प्लांट’ नाम से एक कार्यक्रम को किया जा रहा है। सौर ऊर्जा प्लांट से उत्पन्न बिजली की लागत उपभोक्ताओं के लिए व्यवसायिक दरों के बराबर या उससे कम आती है। सौर ऊर्जा की लागत निरंतर घट रही है, जबकि जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली की लागत प्रतिदिन बढ़ रही है। वर्तमान में सभी केंद्रीय विद्यालय संबंधित डिस्कॉम से व्यवसायिक आधार पर बिजली ले रहे हैं।
120 मेगावॉट बिजली पैदा कर सकते हैं ये स्कूल
मानव संसाधन विकास मंत्रालय और उसके स्वायत्त संस्थानों में परियोजना प्रबंधन परामर्श का कार्य सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और इंडिया एसएमई टेक्नोलॉजी सिर्विसेज लिमिटेड को सौंपा गया है। केंद्रीय विद्यालय संगठन अपने 677 केंद्रीय विद्यालयों की जानकारी नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के साथ साझा कर चुका है, ताकि रूफटॉप सोलर क्षमता का आकलन किया जा सके। केंद्रीय विद्यालय संगठन के आयुक्त संतोष कुमार मल्ल ने कहा कि केंद्रीय विद्यालयों की छतों पर एक वृहद क्षेत्रफल उपलब्ध है, जिसकी क्षमता राष्ट्रीय स्तर पर 120 मेगावाट बिजली उत्पन्न करने की है। यह सौर ऊर्जा परियोजना केंद्रीय विद्यालयों व देश में स्वच्छ एवं हरित ऊर्जा की तरफ एक बड़ा कदम होगा।