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सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट मामले की SIT करेगी जांच, IAS अधिकारियों से भी हो सकती है पूछताछ

locationनोएडाPublished: Sep 03, 2021 03:02:15 pm

Submitted by:

Nitish Pandey

शासन द्वारा गठित एसआईटी की जांच में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा कि सुपरटेक बिल्डर के ट्विन टावर को मंजूरी देने में जो फर्जीवाड़ा हुआ उसके लिए कौन से अफसर जिम्मेदार हैं।

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नोएडा. सुपरटेक बिल्डर और नोएडा विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की मिली भगत से हुए फर्जीवाड़े की प्रारंभिक जांच पूरी हो गई है। इसमें छह अधिकारी दोषी पाए गए हैं। यह जांच नोएडा विकास प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी के निर्देश पर दो एसीईओ अधिकारियों ने की है। इसके अलावा शासन स्तर से इसी मामले की जांच के लिए एसआईटी टीम गठित किया गया है। इस टीम में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी शामिल हैं।
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एसआईटी जांच में होगा दूध का दूध, पानी का पानी

शासन द्वारा गठित एसआईटी की जांच में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा कि सुपरटेक बिल्डर के ट्विन टावर को मंजूरी देने में जो फर्जीवाड़ा हुआ उसके लिए कौन से अफसर जिम्मेदार हैं। सुपरटेक के इस प्रॉजेक्ट की शुरूआत 2004 में हुई थी और आखिरी संशोधन 2012 में हुआ। यानी एसआईटी टीम के जांच के दायरे में नोएडा प्राधिकरण के 2004 से लेकर 2012 तक तैनात रहे प्लानिंग विभाग, एसीईओ, सीईओ व अध्यक्ष के पद पर तैनात अफसर होंगे।
प्लानिंग विभाग में तैनात थे ये अफसर

नोएडा विकास प्राधिकरण के प्लानिंग विभाग में 2004 से 2005 के बीच चीफ आर्किटेक्ट एंड टाउन प्लानर त्रिभुवन सिंह तैनात थे। इनके बाद 2006 से 2012 के बीच चीफ आर्किटेक्ट एंड टाउन प्लानर राजपाल कौशिक तैनात थे। यानी सुपरटेक बिल्डर के इस प्रोजक्ट के दौरान प्लानिंग विभाग में सिर्फ दो अफसर तैनात थे। इसके अलावा 2004 से 2012 के बीच टाउन प्लानर एसके मिश्रा और रितुराज तैनात थे।
एसीईओ के पद पर तैनात रहे अफसर

वहीं मिली जानकारी के अनुसार एसीईओ पद पर 10 सितंबर 2003 से जून 2004 देवाशीष पांडा तैनात थे। 22 जुलाई 2004 से 10 जनवरी 2005 तक टी वेंकटेश तैनात थे। इसके अलावा 27 फरवरी 2004 से 27 मई 2004 शालिनी प्रसाद तैनात थी। तो वहीं 6 फरवरी 2004 से 8 अप्रैल 2005 राधा एस चौहान तैनात थी। 24 जुलाई 2004 से 7 जुलाई 2005 अमित कृष्ण चतुर्वेदी एसीईओ पद पर तैनात थे। 2 मार्च 2005 से 14 जुलाई 2005 एमएम मिश्रा एसीईओ पर तैनात थे। 11 नवंबर 2005 से 22 जून 2007 के रविंद्र नायक एसीईओ पर पर तैनात थे। इसके अलावा 17 मई 2007 से 12 जून 2008 योगेंद्र कुमार बहल ने एसीईओ पद की जिम्मेदारी संभाली थी। इसके अलावा 12 जून 2008 से 23 जनवरी 2009 सुशील कुमार एसीईओ थे। इनके अलावा 14 फरवरी 2009 से 30 जून 2010, प्रमोदन नरायन बाथम और 21 फरवरी 2009 से 6 अक्टूबर 2009 रवि प्रकाश अरोड़ा प्राधिकरण में एसीईओ थे। तो वहीं 7 जुलाई 2010 से 15 सितंबर 2010 पीसीएस आनंद वर्धन, 12 अगस्त 2011 से 7 मई 2012 अनिल राज कुमार और 7 मई 2012 से 14 मई 2013 प्रमांशू एसीईओ पद पर तैनात थे।
जांच के दायरे में दर्जनों आईएएस अधिकारी

वहीं नोएडा विकास प्राधिरण में 31 दिसंबर 2003 से 29 मई 2004 विनोद मल्होत्रा चेयरमैन-सीईओ पद पर तैनात थे। इसके अलावा 29 मई 2004 से 11 जुलाई 2005 देवदत्त चेयरमैन-सीईओ थे। तो वहीं 11 जुलाई 2005 से 15 सितंबर 2005 अवनीश अवस्थी नोएडा विकास प्राधिकरण के सीईओ पद पर तैनात थे। इनके अलावा 15 सितंबर 2005 से 16 मई 2007 संजीव सरन, सीईओ और 16 मई 2007 से 24 जुलाई 2007 मोनिका गर्ग सीईओ के पद पर तैनात थी। वहीं 24 जुलाई 2007 से 22 अक्टूबर 2007 बलविंदर कुमार सीईओ और 22 अक्टूबर से 30 सितंबर ललित श्रीवास्तव सीईओ के अतिरिक्त प्रभार पद पर तैनात थे। साथ ही 30 नवंबर 2007 से 14 दिसंबर 2010 मोहिंदर सिंह सीईओ और 1 जनवरी 2010 से 19 जुलाई 2011 मोहिंदर सिंह अध्यक्ष पद पर तैनात थे।
इसके अलावा 14 दिसंबर 2010 से 19 जुलाई 2011 रमा रमण सीईओ और 19 जुलाई 2011 से 1 नवंबर 2011 बलविंदर कुमार चेयरमैन- सीईओ पद पर तैनात थे। 1 नवंबर से 2 नवंबर 2011 मोहिंदर सिंह चेयरमैन-सीईओ और 2 नवंबर 2011 से 20 नवंबर 2011 जीवेश नंदन सीईओ थे। इसके अलावा 20 नवंबर 2011 से 19 दिसंबर 2011 रमा रमण सीईओ और 19 दिसंबर 2011 से 17 मार्च 2012 एस के द्विवेदी सीईओ पद पर तैनात थे। तो वहीं 1 नवंबर 2011 से 20 मार्च 2012 मोहिंदर सिंह अध्यक्ष और 17 मार्च 2012 से 4 मई 2012 अनिल राजकुमार सीईओ का प्रभार था। 20 मार्च 2012 से 5 मई 2012 अनिल राजकुमार अध्यक्ष का प्रभार इसके अलावा 4 मई 2012 से 21 जनवरी 2013 संजीव सरन सीईओ के पद पर तैनात थे।
उत्तर प्रदेश शासन द्वारा गठित एसआईटी टीम हर छोटी से छोटी बिंदु पर जांच करेगी और दोषी अधिकारियों को बेनकाब करेगी। गौरतलब है कि योगी सरकार जीरो टॉलरेंस के नीति के साथ काम कर रही है।
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