
चिलचिती गर्मी में रोजा रखने के लिए सेहरी और इफ्तार के इस मजहबी तरीके को आधुनिक डाइटिशियन भी कर रहे हैं तारीफ
नोएडा. रमजान का मुकद्दस महना शुरू हो चुका है। रहमत (ईश्वरीय कृपा), बरकत (ईश्वरीय अनुकंपा) और मगफिरत (मोक्ष) वाले इस महीने को सभी महीनों का सरदार भी कहा जाता है। दुनियाभर के मुसलमानों के लिए इस महीने की बहुत अहमीयत है। इस्लामिक कैलेंडर के इस पवित्र महीने में मुसलमान दिन-रात इबादत कर अल्लाह को राजी करते हैं। रमजान इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना होता है। इस बार के रमजान में खास बात ये है कि 36 सालों के बाद रमजान इतनी गर्मियों में पड़ा है। ऐसे में रोजा रखना मुश्कल तो है, लेकिन रोजा धार्मिकता के साथ ही विज्ञान के नजरिए से भी सेहत के लिए बेहतरीन है। विशेषज्ञों का कहना है कि रोजा रखने के दौरान शरीर का डिटॉक्सीफिकेशन होता है। इस क्रिया में शरीर में मौजूद टॉक्सिन और नुकसानदेह तत्व बाहर निकल जाते हैं। ऐसे में रमजान इंसान के सेहत का खयाल रखने के लिए बेहतरीन महीना है।
रोजा इस बार 15 घंटे से भी लंबा होगा। ऐसे में इस तपती गर्मी के दौरान इतना लम्बा रोजा रखने के लिए डाइट का खयाल रखना भी बहुत जरूरी हो जाता है। इस लिए अपनी सेहरी और इफ्तार के लिए खाद्य पदार्थों का चयन करते वक्त बहुत ही सजग रहने की जरूरत है। सेहरी और इफ्तार सुन्नत के मुताबिक करना ही सबसे बेहतर तरीका है। सुन्नत पर अमल कर आप सवाब के साथ-साथ अपने सेहत का भी बेहतर ख्याल रख सकते हैं, क्योंकि सुन्नत पर अमल आधुनिक विज्ञान के समानांतर है। सुन्नत और विज्ञान में कही भी विरोधाभास नहीं है। पैगम्बर मोहम्मद साहब ने फरमाया कि सहरी खाया करो, क्योंकि सेहरी में बरकत है। अल्लाह तआला और उसके फरिश्तें सहरी खाने वालों पर रहमत नाजिल फरमाते हैं।
पैगम्बर साहब जब अपने किसी साथी को सहरी खाने के लिए बुलाते तो इरशाद फरमाते आओ बरकत का खाना खा लो। सहरी हमारे लिए एक अजीम नेअमत है, जिससे बेशुमार जिस्मानी और रूहानी फवाइद हासिल होते हैं। इसी लिए आप ने इसे मुबारक नाश्ता कहा है। हदीस में है कि सहरी खाया करो, क्योंकि सहरी खाने से हर लुक्में के बदले साठ बरस की इबादत का सवाब मिलता है। इसके साथ ही सेहरी में हल्का खाना खाने की ताकीद की गई। आधुनिक न्यूट्रीशनिस्ट भी कहते हैं कि सेहरी में ज्यादा हैवी न खाएं, उससे प्यास ज्यादा लगती है और दिनभर तबीयत भारी-भारी लगेगी, जिससे ऑफिस में भी दिनभर सुस्त महसूस करेंगे।
न्यूट्रीशनिस्ट के मुताबिक सेहरी में ये खाना है बेहतर
आप सेहरी में दलिया, ओट्स, साबूदाना ले सकते हैं। इसके अलावा अगर चाहें तो टोस्ट और चाय भी ले सकते हैं। आमलेट खाने के बजाए उबला अण्डा ले लें। अगर हो सके तो फ्रूट्स भी शामिल कर सकते हैं। वैसे भी ज्यादा पानी पीना मुमकिन नहीं होता है, इसलिए फ्रूट्स भी शामिल करेंगे तो दिनभर हाइड्रेटेड रहेंगे और पानी की कमी नहीं होगी। इसके अलावा ये भी ले सकते हैं।
# मल्टी ग्रेन ब्रेड # चोकर मिले आटे की रोटी या परांठा # दूध और दही # तीन से चार ग्लास पानी # अंडा # ताजे फल # पीनट बटर # बिना चीनी वाले सीरियल # ज्यादा कॉफी या सोडा के परहेज
रमजान के महीने में इफ्तार की बहुत ही अहमीयत है। इफ्तार करने का सुन्नत के मुताबिक तरीका ये है कि रूतब (पके हुए ताज़ा खजूर) से रोज़ा इफ्तार किया जाए। अगर खजूर न मिले तो सूखे खजूर (छोहारा) से और अगर वह भी न हो तो पानी से इफ्तार करना चाहिए, क्योंकि अनस रज़ियल्लाहु अन्हु की हदीस है।‘अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम नमाज़ पढ़ने से पहले कुछ रूतब पर इफ्तार करते थे, यदि वह न होती थीं तो चंद सूखी खजूरों पर, यदि वह भी उपलब्ध ने होती तो चंद घूँट पानी पी लेते थे।’’ इसे अबू दाऊद (हदीस संख्या : 2356), तिर्मिज़ी (हदीस संख्या : 696) ने रिवायत किया है, और अल्बानी ने इर्वाउल-गलील (4/45) में इसे हसन कहा है। रमजान में दूसरे को रोजा इफ्तार कराना भी बहुत ही अच्छा माना गया है। हदीस में है, जिसने रोजेदार का रोजा इफ्तार करवाया उसे भी उतना ही सवाब मिलेगा, जितना सवाब रोजेदार के लिए होगा और रोजेदार के सवाब (अज्र) से कोई चीज कम ना होगी। (इब्ने माजा:१७४६, तिरमिजी:७०० जेद बिन खालिद रजी.) विशेषज्ञ भी यही कहते है कि जो बातें धार्मिक किताबों में लिखी होती हैं, उनकी कुछ वजह होती हैं। विशेषज्ञ कहते हैं रोजा खजूर से खोलने से सवाब मिलता है, लेकिन सवाब मिलने के साथ-साथ ये आपकी सेहत के लिए भी फायदेमंद है, केयंकि खजूर में नेचुरल शुगर होती है, जिससे रोजा रखने के दौरान कम हुआ शुगर लेवल बैलेंस हो जाता है।
Published on:
11 May 2019 04:10 pm
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