
नोएडा।जहां एक तरफ अमेरिकन नागरिकों की भाषा को न समझ पाने की वजह से अच्छे पढ़े लिखे लोग भी झिझकते हैं। वहीं पुलिस गिरफ्त में आया यह 12वीं पास शख्स भारत में बैठकर अमेरिकियों को लाखों रुपये का चूना लगा रहा था। इतना ही नहीं उसने इसके लिए अपने अंडर में 22 कर्मचाारियों को रखा हुआ था। नोएडा पुलिस ने पता लगते ही अरोपी मुख्या समेत इस फर्जी काॅलसेंटर में काम करने वाले 23 युवकों को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद जो सच्चार्इ सामने आर्इ। यह पता लगना पर अाम शख्स तो क्या पुलिस कर्मी भी चौंक गये। पुलिस ने आरोपियों के रैकेट का भड़ाफोड़ कर कर्इ सीपीयू , मोबाइल फोन व अन्य सामान बरामद किया है। वहीं एसएसपी ने बताया कि इस मामले में हवाला आैर टेरेरिस्ट फंडिंग के बाबत भी जांच की जा रही है।
गुड़गांव से ट्रेनिंग लेकर नोएडा में शुरू किया था अपना काॅल सेंटर
सेक्टर-59 स्थित ए-3 में चल रहे फर्जी कॉल सेंटर पर मंगलवार को पुलिस ने छापा मार कर 23 युवकों को पकड़ा है। इस कॉल सेंटर का मालिक राजस्थान के नागौर जिले के रहने वाले भवानी सिंह बंजारा का है। भवानी सिंह 12 वीं पास है। उसने छह माह पहले गुड़गांव में एक फर्जी काॅलसेंटर में ही नौकरी की थी। यहां से ट्रेनिंग लेने के दौरान ही काॅल सेंटर पर हरियाणा पुलिस ने छापा मारकर बंद करा दिया था। इसमें सभी आरोपी गिरफ्तार हुए थे, लेकिन भवानी सिंह बजारा उस दिन छुट्टी होने की वजह से बच गया। इसके बाद उसने नोएडा में आकर अपना फर्जी काॅल सेंटर खोल अमेरिकियों को ठगने का काम शुरु क दिया। उसी ने यहां पर फर्जी काॅल सेंटर खोलकर 22 युवकों को नौकरी पर रखकर अमेरिकियों से ठगी का धंधा शुरू किया। पुलिस ने इनके पास से 23 कंप्यूटर सीपीयू, मोबाइल फोन, 6 इलेक्ट्रिक चिप और 12 डेबिट कार्ड बरामद किए गए हैं। पुलिस गिरफ्त में आए सभी लोग राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, यूपी और दिल्ली के रहने वाले हैं।
एेसे बनाते थे अमेरिकियों को अपना शिकार
एसएसपी ने बताया कि आरोपी पहले लोगों को यूएसए में लैंड लाइन पर फोन करते थे और लोन देने के लिए वायस मैसेज छोड़ते थे। इस मैसेज में संपर्क करने के लिए एक मोबाइल नंबर छोड़ा जाता था। फोन करने वाले ग्राहकों को लोन देने का भरोसा दिया जाता था। ये अपनी बातों में फंसाकर ग्राहक को लोन लेने के लिए तैयार कर लेते थे। फिर ये लोग एक ग्राहक को 150 डॉलर फाइल चार्ज के नाम पर वसूलते और फिर लोन देने की बात करते थे। एसएसपी ने बताया कि लोन की किश्त जमा करने के लिए यूएसए के ग्राहकों से किश्त के बराबर राशि का आई ट्यून कार्ड खरीदवाकर उसका 16 डिजिट का नंबर और पिन ले लेते थे और यूएसए के एजेंट को कमीशन देकर उससे उस कार्ड का पैसा इंडिया के अपने अकाउंट में ट्रांसफर करा लेते थे। उसके बाद अमेरिकन ग्राहकों के फोन रिसीव नहीं करते थे।
Updated on:
11 Apr 2018 11:28 am
Published on:
11 Apr 2018 11:23 am
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