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राष्ट्रोदय के माध्यम से दूर किए जाएंगे जातीय गिले-शिकवे
राष्ट्रोदय कार्यक्रम से जहां एक ओर हिंदुत्व का संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर जातीय संषर्ष में झुलसे पश्चिम उत्तर प्रदेश में सद्भावना कायम करने का भी प्रयास इस कार्यक्रम के माध्यम से किया जाएगा। आपको बता दें कि सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में हुए जातीय संघर्ष ने ठाकुर और दलित समुदाय के बीच जबरदस्त कड़वाहट उत्पन्न करने का काम किया था। शब्बीरपुर जातीय दंगे को लेकर योगी सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई थी। आज भी बसपा शब्बीरपुर दंगे को भुलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है, लेकिन इसके घाव पर राष्ट्रोदय नामक मरहम लगाया जाएगा।
एक साथ बैठकर खाएंगे खाना
कार्यक्रम प्रभारी अजय मित्तल ने बताया कि शब्बीरपुर गांव से दोनों बिरादरी के लोग आ रहे हैं। राष्ट्रोदय कार्यक्रम में दोनों समुदाय के लोगों को एक साथ बैठाया जाएगा और दोनों समुदाय के कार्यकर्ता एक साथ खाना खाएंगे। इस दौरान संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी दोनों समुदाय के लोगों की बात सुनकर उनकी समस्या का समाधान करेंगे। उन्होंने बताया कि जिन परिवारों से दंगे की शुरुआत हुई, उनके करीब 40 लोग कार्यक्रम में हिस्सा लेने आ रहे हैं। इन 40 लोगों में अधिकांश युवा वर्ग से हैं। उनको हिन्दुत्व और आपसी भाईचारे का महत्व संघ के
पदाधिकारी समझाएंगे। सरसंघ चालक देंगे हिंदुत्व एकता का संदेश अजय मित्तल ने बताया कि संघ चालक मोहन भागवत हिंदुत्व एकता का संदेश देंगे। राष्ट्रोदय का उद्देश्य ही हिंदुत्व की एकता है। हिंदुत्व में जातिवाद की कोई जगह नहीं है। राष्ट्रोदय कार्यक्रम में आने वाले संघ कार्यकर्ताओं की एक ही जाति होगी और वह है हिन्दुत्व।
25 फरवरी को होने वाले राष्ट्रोदय कार्यक्रम में जहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ताओं का अद्भुद संगम देखने को मिलेगा। वहीं, एक अन्य मामले में भी इस कार्यक्रम के माध्यम से संघ की एक ओर अनोखी पहल की शुरुआत हो रही है। कार्यक्रम में 18 जिलों से चार लाख लोग हिस्सा लेने आ रहे हैं। संघ के मेरठ प्रांत का यह अब तक का सबसे बड़ा कार्यक्रम है। कार्यक्रम में दूर-दूर से आरएसएस कार्यकर्ताओं को लाने के लिए बसों और छोटे वाहनों की व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए सरकार ने आरटीओ विभाग को भी सहयोग करने के लिए कहा है।