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कॉमनवेल्थ में पदक जीतने वाले इस बॉक्सर ने किया बड़ा खुलासा, बोला इसलिए नहीं जीत सका गोल्ड

अब ओलंपिक और एशियाई खेलों में मेडल जीतने पर रहेगा जोर

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नोएडा। आस्ट्रेलिया में हुये कॉमनवेल्थ गेम्स में बॉक्सर सतीश यादव को रजत पदक मिलने की खुशी तो है, लेकिन हाथ से सोने का तमगा फिसलने का मलाल भी। वह कहते हैं कि मैंने अपना 100 फीसदी दिया और दर्शकों का भी पूरा समर्थन भी मिला। लेकिन जजों ने किस आधार पर कम अंक दिये ये उनकी समझ में नहीं आया। अब तो जजमेंट को चेलेंज करने का भी प्रावधान नहीं है। लेकिन देश के लिए गोल्ड जीतता तो गर्व की बात होती।

रजत पदक विजेता सतीश यादव का नोएडा में भव्य स्वागत किया गया। गांव पचौता निवासी किरनपाल यादव के दूसरे नंबर के पुत्र सतीश यादव ने एक बार फिर देश का नाम विदेश में रोशन कर बॉक्सिंग में रजत पदक हासिल किया है। सतीश यादव कहते हैं कि पहले मैं कबड्डी और क्रिकेट खेलता था। जब 2010 में बॉक्सिंग शुरू की तो इसी खेल का हो कर रह गया हूं। सेना से जुड़ा होने के कारण इसमें काफी मदद मिली।

राष्ट्रमंडल खेल (गोल्ड कोस्ट) की बॉक्सिंग स्पर्धा में रजत पदक जीतने वाले सतीश यादव ने फाइनल मुकाबले में दिए गए निर्णय को गलत बताया। उन्होंने कहा कि मेरे खिलाफ निर्णय दिया गया, जबकि विजेता मैं था। यह बात सिर्फ मैं नहीं बल्कि वहां के दर्शक और अन्य लोग भी कह रहे थे।

इतने बड़े टूर्नामेंट में निर्णायकों को पारदर्शिता बरतनी चाहिए। बाउट के दौरान अंकों को डिस्प्ले करना चाहिए था, लेकिन मेरे मुकाबले में पांच निर्णायकों ने मुझे हारा हुआ घोषित किया। यह मेरे लिए अप्रत्याशित था, क्योंकि मैंने प्रतिद्वंदी बॉक्सर से बेहतर प्रदर्शन किया। 91 किलोभार वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले इस बॉक्सर ने कहा कि गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेल में अपने प्रदर्शन से संतुष्ट हूं। अब एशियाई खेल और ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन का प्रयास होगा।

देश के लिए इस बार सिल्वर पदक जीतने वाले सतीश यादव को लेकर गांव ही नहीं बल्कि क्षेत्र में जश्न का माहौल है। पिता किरनपाल यादव ने बताया कि बेटे ने उनका ही नहीं बल्कि देश का भी मान बढ़ाया है। आगामी राष्ट्रमंडल खेलों में वह गोल्ड के साथ ओलम्पिक खेलों में भी पदक जीतेगा।