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ग्रीन हाउस में सवा महीने में तैयार की खीरा ककड़ी

सोशल प्राइड : रंग लाई मेहनत खेत में नेट हाउस व ग्रीन हाउस का निर्माण करवा सिवाना में खीरा ककड़ी का उत्पादन

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Balotra

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मन में विश्वास और संकल्प हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है। बगरू (जयपुर) के किसान से प्रेरित होकर बाड़मेर जिले के एक उद्यमी ने सिवाना क्षेत्र में ग्रीन हाउस तैयार कर खीरा ककड़ी की बुवाई की और सवा माह की मेहतन से पैदावार तैयार हो गई।

उद्यमी वासुदेव गहलोत की खेतीबाड़ी में भी रुचि है। उनके परिचित बैंक मैनेजर ने चर्चा में उन्हें यहां ककड़ी की खेती करने की सलाह दी और बगरू के किसानों से मिलाया। सीमित जमीन व कम पानी में इसकी बुवाई होने पर गहलोत ने इसमें रुचि दिखाई।

उन्होंने सिवाना स्थित अपने खेत पर नेट हाउस व ग्रीन हाउस का निर्माण करवाया और गुजरात के हिम्मतनगर से बीज लाकर अप्रेल 2016 में खीरा ककड़ी की पहली बार बुवाई की। अब तक उद्यमी इसकी दो बार पैदावार ले चुका है और तीसरी पैदावार एक सप्ताह में तैयार होगी।

45 दिन में फसल तैयार

खीरा ककड़ी की बुवाई के लिए क्यारी बना कर इसमें बीज बोये जाते हैं। हाथ से बुवाई के बाद बूंद-बूंद सिंचाई से इसे सिंचा जाता है। चार से पांच दिन में बीज अंकुरण होता है। इसके बाद पखवाड़े में तंतु निकलने शुरू होते हैं।

इन तंतु को धोगे (डोरी) से ऊपर लगी जाली से बांधना पड़ता है, जिससे बेल सीधी ऊपर की ओर बढ़े। इसके बढऩे व फूल- फल लगने पर तीन-चार स्थानों पर क्लिप लगाने पड़ते है।

45 दिन में उत्पादन मिलना शुरू होता है और 55 दिन तक पैदावार मिलती है। एक पैदावार के बाद बेल को उखाड़ कर नए सिरे से बुवाई करनी होती है।

भरपूर आवक, अच्छी खपत

उद्यमी के अनुसार गर्मी में नेट हाउस तथा वर्षा, सर्दी में ग्रीन हाउस में खेती करना उपयुक्त होता है। नेट हाउस में खड़ी फसल को हवा मिलने पर वह जलती नहीं है जबकि ग्रीन हाउस में खेती करने पर मौसम की मार से फसल खराब नहीं होती।

गिनती से बिकते बीज

खीरा ककड़ी के बीज तुलाई से नहीं गिनती से बिकते हैं। एक हजार बीज की कीमत सात हजार रुपए है। एक तरफ जहां ककड़ी से भी कमाई हो जाती है तो दूसरी ओर बीज से भी मुनाफा मिल जाता है।

भरपूर मांग, किसान खुश

खीरा ककड़ी की बुवाई के बाद नियमित सिंचाई और दवा के छिड़काव की जरूरत रहती है। एक ककड़ी करीब दो सौ ग्राम की होती है।

इसकी बालोतरा, सिवाना के बाजार में भरपूर मांग है। अब आसपास के किसान भी इसकी बुवाई को लेकर रुचि दिखा रहे हैं। किसान इस प्रयोग से सफल रहने पर खुश है।

आधुनिक पद्धति, अच्छी आमदनी

कृषि क्षेत्र में ग्रीन व नेट हाउस पद्धति सबसे आधुनिक पद्धति है। ऑफ सीजन में फूल व सब्जियां तैयार करने की यह पद्धति सबसे उपयुक्त है।

सिवाना में ग्रीन व नेट हाउस लगने का पहला प्रोजेक्ट है, जो कामयाब साबित हुआ है। ग्रीन व नेट हाउस लगाने में सरकार की ओर से 50 फीसदी व इससे अधिक अनुदान देय है। पांच किसान नेट व ग्रीन हाउस से खेती करने में आगे आए हैं।

- के. एम. कुमावत, सहायक निदेशक उद्यानिकी

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