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60 लाख की नौकरी छोड़ महिला सुरक्षा का उपाय खोजने 3800 किमी पैदल यात्रा कर रही है ये महिला

locationनोएडाPublished: Feb 28, 2018 11:10:30 am

Submitted by:

Rahul Chauhan

देश के माँ-बेटियाँ सुरक्षित क्यो नहीं है, इस सवाल के जवाब की तलाश में सृष्टि बख्शी 3800 कि.मी पैदल निकली है।

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नोएडा। देश के माँ-बेटियाँ सुरक्षित क्यो नहीं है, इस सवाल के जवाब की तलाश में कन्याकुमारी से कश्मीर तक 3800 कि.मी पैदल निकली सृष्टि बख्शी इन दिनो नोएडा में हैं। उन्होंने नोएडा के जेनेसिस पब्लिक स्कूल की 12वीं जेनेसिस कॉन्वोसेशंस के दौरान अपने अनुभवों को बच्चों के साथ सांझा किया और समाज में परिवर्तन के लिए काम करने के लिए छात्रों को प्रेरित किया।
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इस दौरान राजस्थान पत्रिका से विशेष मुलाकात में सृष्टि बख्शी ने बताया की यूपी के एनएच-91 का वो गैंगरेप केस, जिसमें हाईवे किनारे परिवार को बंधक बनाकर एक बेटी के साथ गैंगरेप हुआ था। इस घटना से मुझे काफी शॉक लगा और सोचने पर मजबूर कर दिया कि जब महिलाएं-बेटियां परिवार के साथ सुरक्षित नहीं हैं, तो अकेले में सुरक्षित रहने का कोई चांस नहीं है। इन बातों ने सोचने पर मजबूर कर दिया कि भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कुछ करना होगा। इसके लिए मैंने हांगकांग से सालाना 60 लाख रुपए पैकेज की जॉब छोड़ी और भारत आ गई। यहां क्रॉसबो माइल्स संस्था शुरू की और 15 सितंबर 2017 से महिलाओं को सशक्त बनाने का प्रयास कर रही हूं।
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बता दें कि सृष्टि महिलाओं के लिए एक पदयात्रा कर रही हूं। वह कन्याकुमारी से कश्मीर तक की 260 दिन की यात्रा में लगभग 3800 कि.मी पैदल चलेंगी। इस दौरान जिस शहर में वह पहुंचती हैं, वहां लड़की और महिलाओं के लिए आईएमए चेंज मेकर, अपने अधिकारों को जानें, डिजिटल साक्षरता, स्वच्छता और नेतृत्व विषय पर वर्कशॉप भी लेती हैं। सृष्टि कहती हैं कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकार ने कई पहल की है, कानून बनाया गया है। लेकिन लोग जबतक इसमें अपनी भागीदारी नहीं दिखांएगे तब तक सारी योजनाएं कामयाब नहीं होगी।
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महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सृष्टि कन्याकुमारी से कश्मीर तक पैदल यात्रा के दौरान वह 160 दिनों में आधा पड़ाव पार कर चुकी हैं और 28 हजार लोगों से मिल चुकी हैं। उन्होंने बताया कि मैंने जो तथ्य जमा किए हैं उसके हिसाब से इस प्रॉबल्म के बारे में अधिक से अधिक लोगों को बताना चाहूंगी। अबतक मैं 9 राज्यों से होकर गुजर चुकी हूं और सभी प्रदेशों की समस्या एक जैसी है। परिवार चाहे संपन्न हो लेकिन फिर भी महिला का शोषण होता है। दहेज और महिलाओं में आत्मविश्वास की कमी, छह साल की लड़की को शादी के लिए तैयार करना शुरू कर दिया जाता है। छह साल की बच्ची के जीवन की सबसे महत्वपूर्ण चीज शादी बना दी जा रही है। इस कुलदीपक के कॉंसेप्ट को बदलना होगा जिसमें लड़का ही कुलदीपक हो सकता है लड़की नहीं।
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जेनेसिस पब्लिक स्कूल के छात्रो से रूबरू हो कर सशक्ति महिला के लिए किए जा रहे काम को सांझा करती हुई सृष्टि बख्क्षी ने बच्चों के कई प्रश्नों के उत्तर दिए। सृष्टि की इस पहल से एक अरब कदम उठाए गए हैं, जिससे महिलाओं के लिए सुरक्षित देश बनाया जा सके।
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