scriptसिगरेट के फेंके हुए फिल्टर से एक साल में कमा लिए 40 लाख रुपये, खड़ी कर दी दो कंपनी | two young guy earning 40 lac per from used cigarette filter | Patrika News
नोएडा

सिगरेट के फेंके हुए फिल्टर से एक साल में कमा लिए 40 लाख रुपये, खड़ी कर दी दो कंपनी

सिगरेट के फिल्टर के इस्तेमाल से दो युवाओं ने तरह-तरह के प्रोडेक्ट बनाए।

नोएडाMay 09, 2018 / 07:25 pm

Rahul Chauhan

filter
नोएडा। क्या कभी आपने सोचा है कि सिगरेट के पीछे जो फिल्टर होता है उसके जरिए कोई व्यक्ति एक साल में 40 लाख रुपये कमा सकता है। शायद नहीं, क्योंकि अक्सर लोग सिगरेट पीने के बाद फिल्टर को फैंक देते हैं। लेकिन नोएडा में इन्ही फिल्टर का इस्तेमाल कर सामान बनाने वाले युवाओं ने दो कंपनी खड़ी कर दी है। जिसका सालाना टर्नओवर 40 लाख रुपये है।
यह भी पढ़ें

बेरोजगारों के लिए खुशखबरी, अगर आता है यह काम तो हर महीने कमा सकेंगे 25 से 30 हजार रुपये

2016 में शुरु किया अनूठा प्रयोग

दो युवाओं ने 2016 में कोड एंटर प्राइसेज एलएलपी नामकी एक कंपनी खड़ी की। जिसमें उन्होंने सिगरेट के बचे हुए फिल्टर से तकिए, सोफे के कुशन व चाबी के तरह-तरह के छल्ले तैयार किए। इतना ही नहीं, इन्होंने अपने इस अनूठे प्रयोग को एक बड़े कारोबार में तब्दील कर दिया और पिछले वित्तीय वर्ष में 40 लाख रुपये का टर्न ओवर हासिल किया। वहीं आने समय में फिल्टर को एयर प्यूरीफायर, चिमनी आदि में भी इस्तेमाल करने की योजना है।
यह भी पढ़ें

वसीयत बनवाने से पहले जान लें ये महत्वपूर्ण बात, जिंदगी भर नहीं होगी समस्या

पांच हजार लोग जुड़े हुए हैं

बता दें कि सेक्टर-132 में स्थित कंपनी में सड़कों पर पड़े सिगरेट के फैंके जाने वाले फिल्टर को चुनने से लेकर उन्हें कंपनी में पहुंचाने और उनसे सामान बनाने में करीब 5 हजार लोग जुड़े हुए हैं। कंपनी द्वारा इन सिगरेट के फिल्टरों को 250-400 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदा जाता है। इतना ही नहीं, कंपनी द्वारा सिगरेट व पाने की दुकानों के पास वी-बिन (सिगरेट की राख और फिल्टर फैंकने वाले डिब्बे) भी रखवाए हुए हैं।
यह भी पढ़ें

अगर ट्रेन का टिकट बुक करते हैं तो ऐसे जीत सकते हैं 10 हजार रुपये

इस तरह होते हैं फिल्टर इस्तेमाल

कंपनी पहले फिल्टरों को रसायन में साफ करती है जिससे उसको बदबू रहित बनाया जाता है। फिर इस धुले हुए फिल्टर को सुखाने के बाद इनका इस्तेमाल रूई के तौर पर तकिए, सोफे के कुशन व आकर्षक चाबी के छल्ले बनाने में किया जाता है। इनसे तैयार होने वाले सामान की मांग ज्यादातर ऑनलाइन है। साथ ही कंपनी द्वारा फेसबुक और ट्विटर पर प्रोडक्ट का प्रचार भी किया जा रहा है।
यह भी पढ़ें

बिना टिकट कर रहे हैं सफर तो घबराए नहीं, बस करें ये काम तो टीटीई भी नहीं करेगा जुर्माना

इस साल बनाएंगे कंबल व रजाई

फिल्टर को पहले रसायन से साफ करना पड़ता है। उसके बाद बदबू रहित करने के लिए मशीन से धुलाई करनी पड़ती है। धुले हुए फिल्टर को सुखाने के बाद इसका इस्तेमाल रुई की तरह तकिए, सोफे के कुशन या आकर्षक चाबी के छल्लों के रूप में किया जा रहा है। तैयार होने वाले सामान की अधिकांश मांग ऑनलाइन है। फेसबुक और ट्विटर पर इन उत्पादों का प्रचार किया जा रहा है।
यह भी पढ़ें

अगर दुकानदार ने आपसे की ठगी तो फोन से ही यहां करें शिकायत, ले सकते हैं लाखों का हर्जाना

ऐश ट्रे भरने पर आया आइडिया

कंपनी शुरु करने वाले 24 वर्षीय नमन गुप्ता ने 2016 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से बी.कॉम किया। वहीं 28 वर्षीय उनके दोस्त विशाल कानत 2016 में बी शारदा विश्वविद्यालय से आइटी में इंजीनियरिंग कोर्स पूरा किया। नमन का कहना है कि जब वह कॉलेज में थे तो उनके काफी दोस्त सिगरेट पीते थे। जिससे कमरे में रखी ऐश ट्रे बहुत जल्दी भर जाती थी। एक दिन इस ऐश ट्रे को कूड़ेदान में खाली करते हुए सिगरेट के फिल्टर के इस्तेमाल का ख्याल आया। जिसे उन्होंने अपने दोस्त विशाल से साझा किया और इस तरह फिर दोनों ने मिलकर कोड एंटर प्राइसेज एलएलपी नाम से एक कंपनी बनाई।
यह भी पढ़ें

2012 के बाद तबाही की भविष्यवाणी एक बार फिर साबित हुई गलत, जारी हुई थी ये चेतवानी

इन शहरों से आ रहे फिल्टर

फिल्टरों की सप्लाई केवल दिल्ली एनसीआर से नहीं आ रही है। बल्कि जम्मू, मुंबई, बैंगलूरु, चेन्नई, पटना आदि बड़े शहरों से भी यहां सिगरेट के फिल्टर आ रहे हैं। नमन ने बताया कि शुरुआत में सिगरेट के फिल्टर एकत्रित करने में काफी परेशानी आई। लेकिन बाद में फिल्टर एकत्रित करने वालों को भुगतान के जरिए जोड़ा गया।

Home / Noida / सिगरेट के फेंके हुए फिल्टर से एक साल में कमा लिए 40 लाख रुपये, खड़ी कर दी दो कंपनी

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो