
नोएडा। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार शुक्रवार को अपना दूसरा बजट पेश कर रही है। माना जा रहा है कि यह यूपी का अब तक का सबसे बड़ा बजट होगा। हर साल बजट की राशि बढ़ती जाती है और उसके साथ बढ़ता जाता है राज्य पर कर्ज का बोझ। मतलब राज्य का हर नागरिक के कंधे पर कर्ज का भार बढ़ता ही जा रहा है। मेरठ कांग्रेस प्रवक्ता अभिमन्यु त्यागी का कहना है कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2012-13 में राज्य का कुल कर्ज जो करीब 2 लाख 25 हजार (2, 25,123) करोड़ रुपये था। वह 2017 में बढ़कर करीब 3 लाख 75 हजार ( 3, 75,049) करोड़ रुपये हो गया। उनके मुताबिक प्रदेश सरकार अगर कुल ऋण को कम करने में सफल हो गई तो यह उसकी थोड़ी-बहुत उपलब्धि हो सकती है।
पिछले बजट में सामने आया था आंकड़ा
आंकड़ों की मानें तो 2017 में उत्तर प्रदेश के हर व्यक्ति पर करीब 17859 रुपये का कर्ज था। राज्य विधानमंडल में 2017-2018 वित्तीय वर्ष के पेश बजट में यह तथ्य उभरकर सामने आया था। बजट के मुताबिक, सूबे की आबादी लगभग 21 करोड़ है। अगर पूरी आबादी में कुल कर्ज को बांटा जाये तो यह औसतन 17859 रुपये प्रति व्यक्ति आएगा। अगर हिसाब लगाया जाए तो एक साल में हर व्यक्ति पर कर्ज करीब 2135 रुपये बढ़ गया है।
सपा सरकार में इतना था कर्ज
वित्तीय वर्ष 2016-2017 में प्रति व्यक्ति पर औसतन 15724 रुपये का कर्ज था, जबकि राज्य पर कुल कर्ज करीब 3 लाख 30 हजार करोड़ रुपये था। इस तरह एक वर्ष में प्रति व्यक्ति कर्ज में 2135 रुपए का इजाफा हुआ है। वहीं, 2015-16 वित्तीय वर्ष में यह कर्ज प्रति व्यक्ति 13341 रुपये था और सरकार पर उस वित्तीय वर्ष में करीब 2 लाख 66 हजार करोड़ रुपये कर्ज पहुंच गया था। इन आंकड़ों के बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दावा भी किया था कि कर्जों से निजात मिलेगी और प्रदेश का विकास होगा। अगर बात 2014-15 की करें तो आंकड़ों के मुताबिक, राज्य के हर व्यक्ति पर 12,655 रुपये का कर्ज था और उस समय पूरे राज्य का कर्जा करीब 2.65 लाख करोड़ रुपये था। मतलब एक साल में 1430 रुपये का कर्ज हर व्यक्ति पर बढ़ गया। वित्तीय वर्ष 2013-14 में यूपी का प्रत्येक इंसान 11225 रुपये के कर्ज तले दबा था। उस समय राज्य पर करीब 2.36 लाख करोड़ के कर्ज था।
Updated on:
16 Feb 2018 03:44 pm
Published on:
16 Feb 2018 12:22 pm
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