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राम लला के नाम पर असमंजस में भाजपा

पार्टी आलाकमान तय नहीं कर पा रहा है कि चुनाव में राम नाम का जाप करें या नहीं

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Sarad Asthana

May 08, 2016

ram mandir

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नोएडा। भाजपा नेताओं के
बयानों से एक बात स्पष्ट हो गई है कि भाजपा राम नाम को लेकर असमंजस में है।
पार्टी यह तय नहीं कर पा रही है कि 2017 यूपी विधानसभा चुनाव में वह राम
मन्दिर का मुद्दा उठाए या नहीं। शायद यही कारण है कि पार्टी का एक नेता
मन्दिर निर्माण की बात करता है तो दूसरा इस मामले को कानूनी मसला बताकर
कोर्ट से हल निकलने की उम्मीद जाहिर करने लगता है।

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मंदिर तो हर हाल में बनकर रहेगा


मिले जुले बयानों से उठ रहे सवाल

ऐसा
इसलिए लग रहा है क्योंकि केशव प्रसाद मौर्य ने अपने अध्यक्ष पद पर चयन के
समय ही साफ़ कर दिया था कि राम उनके लिए आस्था का मुद्दा हैं, राजनीति के
नहीं। हलांकि जब सात मई को उन्हें अपनी चुनावी यात्रा की शुरुआत उन्होंने
अयोध्या जाकर राम लला के दर्शन करके ही की। यानी एक तरफ वह मन्दिर निर्माण
पर भड़क सकने वाले वोटरों को साधने की कोशिश करते हुए दिखते हैं तो दूसरी ओर
राम भक्तों को भी यह सन्देश देने से नहीं चूकते कि राम उनके अजेंडे से
बाहर नहीं हैं।

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आई


ये करते हैं मंदिन बनाने की बात

वहीं
यूपी के अन्य कद्दावर नेता न सिर्फ राम को एक मुद्दा मानते हैं, बल्कि
मन्दिर निर्माण की बात भी कहते हैं। यूपी भाजपा से ऐसे ही एक बड़े चेहरे का
नाम साक्षी महाराज है जो स्पष्ट तौर पर राम मन्दिर निर्माण की बात करते
हैं। उनका कहना है कि केंद्र सरकार शीघ्र ही एक बिल लेकर संसद में कानूनी
प्रस्ताव पास कर मन्दिर निर्माण का रास्ता साफ़ करे।
निरंजना ज्योति
साक्षी महाराज के ही समान बयान देने के लिए जानी जाती रही हैं। इसके आलावा
केंद्रीय मंत्री राम शंकर कठेरिया इसी विचारधारा के माने जाते हैं।

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तो क्या है भाजपा की रणनीति

पार्टी
के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक कई बड़े नेताओं का मानना है कि राम मन्दिर
मुद्दे में नब्बे के दशक वाली बात नहीं है और अब सिर्फ राम के नाम पर
गोलबन्द कर पाना सम्भव नहीं है। इसलिए राम मन्दिर का नाम लेकर उस वर्ग को
खुद से दूर क्यों किया जाए जो रोजी-रोटी के सवाल पर वोट करता है। दरअसल
पार्टी नेताओं के बड़े धड़े का मानना है कि लोकसभा चुनाव में मोदी को मिली
सफलता उनके गुजरात मॉडल और विकासवादी अजेंडे की वजह से ही थी। इसलिए पार्टी
इस विकासवादी अजेंडे को ही लागू करने के पक्ष में है।

खुद नरेंद्र
मोदी की वाराणसी, बलिया और नोएडा में हुई रैलियों के विषय को लेकर देखें तो
यही बात सामने आती है कि वह सिर्फ विकासवादी अजेंडे की ही बात करते हैं।
वे बाबा विश्वनाथ के दर्शन की बात भले ही करते रहते हैं लेकिन राम लला के
बारे में कोई टिप्पणी तक नहीं करते।

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तो क्या रहेगा पार्टी का रुख

पार्टी
सूत्रों के मुताबिक भाजपा क्षेत्रवार ढंग से उन्हीं मुद्दों को उभारेगी
जिन पर क्षेत्रीय जनता को भरोसे में लिया जा सके। पार्टी सूत्रों के
मुताबिक सत्तारूढ़ समाजवादी सरकार को साधने के लिए उसके भ्रष्ट प्रशासन को
ही हथियार बनाना काफी होगा। वहीं, मुख्य प्रतिद्वन्दी बसपा को काउंटर करने
के लिए उनके भ्रष्टाचार को ही पार्टी मुख्य मुद्दा बनाएगी। यानी राम लला को
टेंट से बाहर आने के लिए फिलहाल इंतजार ही करना पड़ेगा।

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पार्टी नेताओं ने क्या कहा

उत्तर
प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष अशोक कटारिया का कहना है कि पार्टी का इस मामले पर
स्टैंड बिलकुल साफ है और उसमे किसी तरह का कोई दुहराव नहीं है। उन्होंने
कहा कि पार्टी कई बार इस बात को साफ कर चुकी है कि राम हमारी आस्था का
केंद्र हैं। उनका जीवन हमें जीवन के हर पल में प्रेरणा प्रदान करता है
इसलिए इस बात का तो सवाल ही पैदा नहीं होता कि पार्टी राम से दूर हो जाए।
उन्होंने कहा कि जहां तक राम मन्दिर निर्माण का प्रश्न है, वह चाहते हैं कि
राम मन्दिर अवश्य बने लेकिन इसका रास्ता कानून या आपसी सहमति के रास्ते से
ही तय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राम समाज निर्माण और एकता के सूत्र में
पिरोने का नाम है, वह समाज तोड़ने का कारण किसी भी दशा में नहीं बनना
चाहिए।

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