मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद भी रेलवे की हालात बदलती नजर नहीं आ रही है। मई 2014 से अब तक कोई ऐसा साल नहीं गया है, जब कोई बड़ा रेल हादसा नहीं हुआ हो। हर बार रेल हादसे के बाद जांच की बात कहकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता। हालांकि, मुजफ्फरनगर में हुए हादसे में कुछ कार्रवाई जरूर हुई पर जांच अब भी चल रही है।
राज्यरानी एक्सप्रेस हादसा 15 अप्रैल को रामपुर स्टेशन से पहले कोसी नदी के पुल के पार सुबह 8 बजकर 10 मिनट पर उस समय हडकंप मच गया ,जब मेरठ से चलकर लखनऊ जा रही राज्यरानी एक्सप्रेस 22454 बेपटरी हो गई। तेज आवाज के साथ उसके आठ डिब्बे पटरी से उतर गए थे। मामले में रेलवे की लापरवाही जरूर उजागर हुई थी। मौके पर पटरी टूटी हुई मिली थी। घटना के बाद एक सप्ताह में जांच कर कार्रवाई का भरोसा दिलाया गया था। लेकिन चार महीने से ज्यादा का वक्त बीत गया पर न हादसे की वजह तय हो पाई न जिम्मेदारी।
कलिंग उत्कल एस्प्रेस हादसा पिछले शनिवार को मुजफ्फरनगर में पुरी से हरिद्वार जा रही कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस के 10 डिब्बे पटरी से उतर गए। यह दुर्घटना इतनी भयावह थी कि बोगियां एक दूसरे के ऊपर चढ़ गई थी। हादसे में 22 लोगों की मौत हो गई थी और कई घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
कुछ अन्य बड़े हादसे 21 जनवरी 2017- आंध्र प्रदेश में जगदलपुर-भुवनेश्वर एक्सप्रेस पटरी से उतर गई। इस दुर्घटना में 36 लोगों की मौत हो गई थी। 28 दिसंबर 2016-
अजमेर-सियालदाह एक्सप्रेस के 15 डिब्बे पटरी से उतरे, 40 से ज्यादा लोग घायल हुए।
20 नवंबर 2016- कानपुर के पास पुखरायां में एक बड़ा रेल हादसा हुआ, इस हादसे में 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। 20 मार्च, 2015- देहरादून से वाराणसी जा रही जनता एक्सप्रेस पटरी से उतरी। इसमें 34 लोगों की मौत हुई थी।
5 अगस्त 2015- मध्य प्रदेश के हरदा के करीब एक ही जगह पर 10 मिनट के अंदर दो ट्रेन हादसे हुए। इटारसी-मुंबई रेलवे ट्रैक पर दो ट्रेनें मुंबई-वाराणसी कामायनी एक्सप्रेस और पटना-मुंबई जनता एक्सप्रेस पटरी से उतर गईं। हादसे में 31 मौतें हुईं।
– उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले में गोरखधाम एक्सप्रेस ने एक मालगाड़ी को उसी ट्रैक पर टक्कर मार दी। इस दुर्घटना में 22 लोगों की मौत हो गई थी।