
नोएडा। उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 13 सीटों के लिए गुरुवार को सभी उम्मीदवारों को निर्विरोध चुन लिया गया। नवनिर्वाचित सदस्यों में भारतीय जनता पार्टी के 10, जबकि सपा, बसपा और अपना दल का एक-एक उम्मीदवार है।
भारतीय जनता पार्टी के इन नवनिर्वाचित 10 एमएलसी में से दो एमएलसी पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं। दोनों के ही गृह जनपद मेरठ और बिजनौर पश्चिमी यूपी का हिस्सा हैं। ये दोनों एमएलसी हैं अशोक कटारिया और सरोजिनी अग्रवाल। अशोक कटारिया भाजपा कैडर के कार्यकर्ता रहने के बाद नेता बने हैं। कटारिया कई वर्षों से भाजपा संगठन में सक्रिय हैं, जबकि सरोजिनी अग्रवाल सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुई थीं। दोनों के एमएलसी चुने जाने के बाद से समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई है।
इन 13 सीटों के लिए मतदान की तारीख 26 अप्रैल थी, लेकिन सभी पार्टियों ने अपने पास मौजूद विधायकों के संख्या बल के हिसाब से ही उम्मीदवार खड़े किए थे। 19 अप्रैल को नामवापसी की आखिरी तारीख थी। शाम पांच बजे तक किसी ने नामांकन वापस नहीं लिया। 13 सीटों के लिए 13 उम्मीदवार ही मैदान में थे। इसलिए मतदान की जरूरत नहीं पड़ी और सभी को गुरुवार को ही निर्विरोध एमएलसी निर्वाचित घोषित कर दिया गया।
अशोक कटारिया का राजनीतिक सफर
विद्यार्थी परिषद से अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत करने वाले अशोक कटारिया वर्तमान में प्रदेश भाजपा के महामंत्री हैं। इन्हें मौजूदा उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या (तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष भाजपा) ने अपनी टीम में प्रदेश महामंत्री की जिम्मेदारी सौंपी थी जिसे वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडे ने भी बरकरार रखा।
इससे पहले कटारिया अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से 1988 में जुड़े। इसके बाद वे ABVP के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। इसके बाद उन्हें भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। अशोक 2003 से 2007 तक भारतीय युवा मोर्चा के महामंत्री रहे। इसके बाद 2010 से 2011 युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। कुल मिलाकर अशोक कटारिया भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा में प्रदेश मंत्री, प्रदेश उपाध्यक्ष और प्रदेश महामंत्री रह चुके हैं। अब भाजपा ने उन्हें एमएलसी का टिकट दिया है। अशोक कटारिया की उम्र लगभग 45 वर्ष है।
डॉ. सरोजिनी अग्रवाल का राजनीतिक सफर
डॉ. सरोजनी अग्रवाल मेरठ की रहने वाली हैं। ये पेशे से चिकित्सक हैं। डा. सरोजिनी अग्रवाल 22 साल तक सपा में रहीं। इस दौरान वह एमएलसी भी बनीं। सितंबर 2017 में उन्होंने सपा छोड़कर भाजपा ज्वाइन की। डॉ. सरोजिनी अग्रवाल को 1995 में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने सपा ज्वाइन करार्इ थी। इसके बाद वह 1995 से 2000 तक मेरठ की जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं। साथ ही वह 1996 से 2010 तक सपा की राष्ट्रीय सचिव भी रहीं।
2009 से 2015 तक वह सपा से विधान परिषद की सदस्य भी (एमएलसी) रहीं। 2015 में सपा ने उन्हें एक बार फिर एमएलसी बनया। सपा में मुलायम-अखिलेश के बीच तकरार से वह आहत हुर्इ और उन्होंने पिछले साल भाजपा का दामन थाम लिया। डॉ. सरोजिनी अग्रवाल सपा के पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां के करीबी नेताओं में शुमार किया जाता था। सपा छोड़कर भाजपा में जाने से पहले डॉ. सरोजिनी अग्रवाल ने एमएलसी पद से इस्तीफा दे दिया था।
भाजपा से चुने गए अन्य एमएलसी
भारतीय जनता पार्टी की तरफ से विद्या सागर सोनकर, विजय बहादुर पाठक, अशोक धवन, बुक्कल नवाब, यशवंत सिंह, जयवीर सिंह, डॉ महेंद्र सिंह और मोहसिन रजा।
सपा से नरेश उत्तम पहुंचे विधान परिषद समाजवादी पार्टी से प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम विधान परिषद पहुंचे हैं, जबकि बसपा से राज्यसभा चुनाव हारने वाले भीमराव अंबेडकर। भाजपा की सहयोगी अपना दल से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष सिंह पटेल एसएलसी चुने गए हैं। 13 विधान परिषद सदस्यों का कार्यकाल 5 मई को खत्म हो रहा है। 10 नए सदस्य चुने जाने के बाद उच्च सदन में बीजेपी के सदस्यों की संख्या 21 हो जाएगी।
इन सदस्यों में से चार ने कुछ समय पहले ही भाजपा ज्वाइन की थी। बुक्कल नवाब, यशवंत सिंह और सरोजिनी अग्रवाल सपा छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे, जबकि जयवीर सिंह बसपा से भाजपा में आए थे। हालांकि अभी भी उच्च सदन में बहुमत सपा के पास ही है।
Published on:
19 Apr 2018 08:12 pm
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