
Chandrayan-3: कहते हैं हर कामयाब इंसान के पीछे एक औरत का हाथ होता है…ये बात जितनी सच है उससे कहीं ज्यादा ये बात है कि हर कामयाब राष्ट्र के पीछे एक कामयाब औरत का हाथ होता है। इस बात का प्रमाण है चंद्रयान-3 की उडा़न के बाद चांद पर लैंडिंग कराने में वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ अहम भूमिका निभाने वाली लखनऊ की डा. रितु कारिधाल। डा. रितु चंद्रयान-3 की साफ्ट लैंडिंग में इसरो की टीम के साथ अहम भूमिका निभा रही हैं। ISRO से जुड़ने के लिए डा. रितु ने अपनी पीएचडी छोड़ दी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सन् 1997 में इसरो का हिस्सा बनीं और तब से लेकर अब तक इसरो के विभिन्न अभियानों से जुड़ चुकी हैं।
आखिर क्यों मिली डा. रितु को लैंडिंग की जिम्मेदारी
वरिष्ठ वैज्ञानिको में एक नाम डा. रितु कारिधाल का भी है। जो ISRO के कई अभियानों का महतवपूर्ण हिस्सा रहीं। आपको बता दें की डा. रितु ने एयरो साइंस से इंजीनियरिंग में एमटेक किया है। रितु कारिधाल मंगलयान-1 में डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर रही हैं। उसके बाद चंद्रयान-2 में मिशन डायरेक्टर की अहम भूमिका भी निभाई। उनके अनुभवों को देखते हुए 2020 में ही ISRO ने यह जिम्मेदारी देने का निर्णय ले लिया था। इसके बाद उन्हें चंद्रयान-3 में साफ्ट लैंडिंग कराने की जिम्मेदारी दी गई है।
महिला शक्ति का बडा़ योगदान
चंद्रयान-3 को सफल बनाने में लगभग 54 महिला इंजीनियरों/वैज्ञानिकों का योगदान रहा है। इन सब महिलाओं ने मिशन पर बेहद बारिकी से काम किया है। एक अधिकारी मुताबिक महिलाओं ने विभिन्न प्राणालियों में सहयोगी रही हैं।
Published on:
23 Aug 2023 06:22 pm
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