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नगर निगम उदासीन: एचआइजी और एमआइजी अधर में; कॉम्प्लेक्स गनियारी प्लाजा की कवायद अधूरी

महापौर, अध्यक्ष नहीं दिखा रहे सक्रियता, अधिकारी भी मौन सिंगरौली. शहर को स्वच्छ, सुंदर और विकसित बनाने के लिए नगर निगम ने कई योजनाएं बनाई थीं, लेकिन अधिकांश परियोजनाएं पिछले पांच वर्षों से लंबित हैं। शासन और प्रशासन से स्वीकृति व बजट जारी होने के बावजूद निगम अधिकारियों की कोशिशें केवल कागजों तक सीमित हैं। […]

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महापौर, अध्यक्ष नहीं दिखा रहे सक्रियता, अधिकारी भी मौन

महापौर, अध्यक्ष नहीं दिखा रहे सक्रियता, अधिकारी भी मौन

महापौर, अध्यक्ष नहीं दिखा रहे सक्रियता, अधिकारी भी मौन

सिंगरौली. शहर को स्वच्छ, सुंदर और विकसित बनाने के लिए नगर निगम ने कई योजनाएं बनाई थीं, लेकिन अधिकांश परियोजनाएं पिछले पांच वर्षों से लंबित हैं। शासन और प्रशासन से स्वीकृति व बजट जारी होने के बावजूद निगम अधिकारियों की कोशिशें केवल कागजों तक सीमित हैं। महापौर और अध्यक्ष की ओर से भी सक्रियता का अभाव है। इसके परिणामस्वरूप शहर की तस्वीर में कोई खास बदलाव नहीं आया है। शहरवासियों को पुरानी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट अधूरा
2017 में 110 करोड़ रुपए से अधिक बजट से स्वीकृत सीवर लाइन का कार्य अब तक पूरा नहीं हो सका है। नगर निगम की ओर से कार्य में लापरवाही बरतने वाली कंपनी केके स्पन को टर्मिनेट कर नए सिरे से निविदा प्रक्रिया शुरू की गई। नई एजेंसी का चयन किया गया और कार्य भी शुरू कर दिया गया। हिर्रवाह, नवजीवन विहार व वैढऩ तीनों जोन में कार्य अधर में लटका है।
6 वर्ष से परसौना-जयंत बायपास अधर में
शहर के विस्तार और जिला मुख्यालय पर यातायात का दबाव कम करने के लिए परसौना-जयंत बायपास सडक़ बनाने की योजना है। यह प्रस्ताव पिछले करीब 6 वर्ष से अधिक समय से अधर में है। हालांकि इसकी जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी की बताई गई है। पूर्व में साढ़े छह सौ करोड़ के बजट वाले इस प्रस्ताव में परिवर्तन कर साढ़े तीन सौ करोड़ तक लाया गया, लेकिन अभी इस पर सारे कार्य केवल कागज तक सीमित है। वहीं डीएमएफ की बैठक में दूसरे बायपास कन्वेयर बेल्ट से होकर भकुआर सहित आसपास के गांवों से होकर शक्तिनगर को जोडऩे वाली बायपास पर चर्चा हुई लेकिन पूर्व में प्रस्तावित बायपास को लेकर कवायद ठंड पड़ गई है।
जुड़वां तालाब तक सीमित सौंदर्यीकरण
शहर के सौंदर्यीकरण की कवायद भी केवल कलेक्ट्रेट के आसपास तक ही सीमित है। कलेक्ट्रेट के सामने की पार्किंग व बगल के जुड़वां तालाब के सौंदर्यीकरण के अलावा दूसरे मोहल्लों पर निगम अधिकारियों का ध्यान नहीं है। जबकि योजना शहर के सभी चौराहों के अलावा 20 तालाब व 20 पार्कों के सौंदर्यीकरण की बर्नाई गई थी। तत्कालीन कलेक्टर व निगम प्रशासन के निर्देश पर वर्ष 2020 में बनाई गई 20-20 योजना केवल तालाबों व पार्कों को चिह्नित करने तक सीमित है।
सिविक सेंटर का निर्माण कार्य ठप
शहर के बिलौंजी क्षेत्र में जिला अस्पताल के सामने की खाली पड़ी 15 एकड़ जमीन का उपयोग करने के लिए नगर निगम की ओर से पिछले 5 वर्ष में तीन बार प्लान बदला गया है, लेकिन वह भी अधूरा पड़ा है। वहां सडक़ के तीन ओर लगी जमीन पर शॉङ्क्षपग प्लाजा और बीच में सिविक सेंटर बनाने की तैयारी थी। निर्माण शुरू कराया गया, लेकिन पहले दौर में ही महापौर ने भुगतान रोक दिया। भुगतान लंबित होने की वजह से सारी कवायद वहीं से ठप हो गई है। पूर्व में सिविक सेंटर के स्थान पर आवासीय प्लाट आवंटित करने की योजना बनाई गई थी।
प्रस्ताव भेजने तक सीमित कवायद
शहरी क्षेत्र में एमआइजी व एलआइजी स्तर के आवास बनाने की योजना 2017 में बनाई गई थी लेकिन अभी तक की सारी कवायद केवल शासन को प्रस्ताव भेजने तक सीमित है। नगर निगम ने अब तक करीब तीन बार 144 एलआइजी व 240 एमआइजी बनाने का प्रस्ताव मंजूरी के लिए शासन को भेजा है। योजना इस आवास योजना से प्राप्त रकम का उपयोग गरीबों के लिए ईडब्ल्यूएस आवास बनाने का है। बुङ्क्षकग नहीं होने पर अब पीएम आवास टू योजना के तहत कवायद की तैयारी की जा रही है।
लेटलतीफी की वजह
स्थानीय स्तर पर बजट की कमी, प्रस्ताव पर स्वीकृति मिलने में देरी, नगर निगम में अधिकारियों की कमी, प्रोजेक्ट में समय लगने की दलील।
45 वार्ड शहर में, 48 हजार मकान, 3.5 लाख आबादी
सभी प्रोजेक्ट समय से पूरा करेंगे
नगर निगम क्षेत्र के विकास को लेकर कई बड़े प्रोजेक्ट पर कार्य किया जा रहा है। यह बात सही है कि वक्त लग रहा है। सभी बड़े प्रोजेक्ट में समय लगता है। पूरी उम्मीद है कि एक-एक कर सभी कार्य पूरे किए जाएंगे।
डीके शर्मा, आयुक्त नगर निगम