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आपकी बात…भारत को विकसित राष्ट्र कैसे बनाया जा सकता है ?

पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं मिलीं, पेश है चुनींदा प्रतिक्रियाएं...

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आधारभूत ढांचे को मजबूत बनाने की जरूरत
वर्तमान में भारत विश्व की पांचवी अर्थव्यवस्था है। विकसित राष्ट्र बनाने के लिए देश में उद्यमिता को बढ़ावा देना चाहिए। इससे रोजगार सृजन हो सकेंगे। भारतीय उत्पाद विश्व में जगह बना सकें, इसके लिए मजबूत आधारभूत ढांचे को विकसित किया जाना चाहिए।सरकारी योजनाएं धरातल पर लागू हों। सरकार के साथ नागरिकों को भी पूरी ईमानदारी से प्रयास करने होंगे।
— गजेंद्र चौहान , कसौदा, जिला डीग
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आर्थिक सुधारों पर फोकस जरूरी
भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए युवाओं को कौशल व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देनी चाहिए। श्रम नियमों को सुनिश्चित करना होगा। सामाजिक समरसता की नीति के साथ आर्थिक सुधारों पर फोकस करना होगा।
— प्रकाश भगत, कुचामन सिटी, नागौर
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छोटे उद्योगों को मिले प्रोत्साहन
सरकार को छोटे उद्योगों को विकसित करना चाहिए। इन उद्योगों को आसानी से कम ब्याज दरों पर आसानी से लोन मिले। अलग अलग स्वीकृतियों के लिए एकल खिडकी हो। स्थानीय कामगारों को रोजगार व उचित प्रशिक्षण मिले। तभी देश विकसित बन सकता है।
— चंद्रशेखर प्रजापत, सरस्वती नगर जोधपुर
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भ्रष्टाचार पर लगे लगाम
हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए व्यापक रूप से कठोर नियम बने। जांच एजेंसियां सक्षम व सक्रिय हों। सरकार की हर योजनाओं में ठेकेदारों से लेकर अधिकारी वर्ग भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। इनके गठजोड को तोडना होगा। आनलाइन व्यवस्था के साथ सिस्टम में भी पारदर्शिता हो।
— हरिप्रसाद चौरसिया, देवास ,मध्यप्रदेश
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अपना काम ईमानदारी से करें
भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए अलग से कुछ नहीं करना है। प्रत्येक के पास जो काम है उसे पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी से करते रहना है। आप यदि शिक्षक हैं, निजी कंपनी के कर्मचारी हैं, प्लंबर हैं, डॉक्टर हैं, पत्रकार हैं, जिस भी कार्य को कार्य करते हैं उसे बेहतर से बेहतर तरह से करने की कोशिश करें। हमारा देश हम भारतवासियों से मिलकर ही बना है। हम अच्छा काम करेंगे तो देश अपने आप विकसित बनेगा।
—अभिषेक तिवारी , सांगानेर, जयपुर
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नियम, कानूनों में लचर व्यवस्था न हो
सरकार के साथ ही जनता की भी दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो भारत विकसित देश बन सकता है। समय में बदलाव के साथ लोगों को उसी के अनुरूप ढल जाना चाहिए। शिक्षा व स्वास्थ्य का विस्तार हो। नए उदृयोग व कल—कारखाने लगें। पर्याप्त रोजगार की व्यवस्था हो। नियम, कानूनों का सभी पालन करें। ऐसा न करने पर कठोर दण्ड हो। लचर व्यवस्था न हो।
— मुकेश भटनागर, भिलाई, छत्तीसगढ़
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सामाजिक व मानवीय विकास भी हो
विकास का अर्थ प्रति व्यक्ति आय बढ़ाना और गरीबी दूर करना ही नहीं है। सामाजिक और मानवीय विकास भी इसके घटक हैं। पिछले कुछ वर्षों में स्वच्छ भारत अभियान, सर्व-शिक्षा अभियान, आयुष्मान भारत, आत्मनिर्भर भारत और पोषण अभियान के अच्छे परिणाम सामने आए हैं। अतः आने वाले वर्षों में स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में अधिक निवेश की आवश्यकता है। साथ ही भारत को श्रम-क्षेत्र में भी कौशल की कमी को दूर करने पर फोकस करना होगा।
— विभा गुप्ता, मैंगलोर
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प्राकृतिक व मानवीय संसाधनों का हो बेहतर उपयोग
हमारे देश में संसाधनों की कमी नहीं है। चाहे व प्राकृतिक हों या मानवीय संसाधन। चीन में विकास धीमा होने के बाद विश्व के देश भारत की ओर आशाभरी निगाहों से देख रहे हैं। यहां पर्याप्त मात्रा में मानवीय संसाधन हैं, जरूरत है तो उसे कुशल बनाने की।
— अमित दीवान, भोपाल

आधारभूत सुविधाओं का गांवों तक विस्तार हो
इसके लिए आधारभूत आवश्यकताओं को गांवों तक पहुंचाना आवश्यक है। इसमें उच्च स्तर की शिक्षा व चिकित्सा व्यवस्था, नैतिक शिक्षा, स्वच्छता, स्वरोजगार की सुविधाएं एवं प्रशिक्षण आदि शामिल हैं। पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे। खेती को व्यावसायिक बनाया जाए। खेती में जैविक तरीकों का अधिक इस्तेमाल हो।

  • उमराव सिंह वर्मा, सेमरिया, बेमेतरा, छत्तीसगढ़……………………………………………………