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कृषि : मिले जैविक खेती को प्रोत्साहन

हमारे देश में 2005 में आई जैविक नीति पर अब तक कोई विशेष काम नहीं हुआ हैं। रसायन मुक्त खेती को मुख्यधारा से जोडऩे के लिए तेजी से काम करने का समय आ गया हैं।

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कृषि : मिले जैविक खेती को प्रोत्साहन

कृषि : मिले जैविक खेती को प्रोत्साहन

डॉ. सी. पी. पोखरना

आजकल हर तरफ जैविक खेती पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन देश में सफलतापूर्वक जैविक खेती करने वाले किसानों की संख्या गिनती की है। रासायनिक कृषि छोड़कर जैविक खेती अपनाने पर शुरू में पैदावार का नुकसान होता है, जो ज्यादातर किसान बर्दाश्त नहीं कर पात और मैदान छोड़ देते हैं। जैविक खेती को लेकर भ्रम की स्थिति भी है। सही तरीके से जैविक खेती की जाए, तो रासायनिक खेती के बराबर ही पैदावार हो सकती है। इसके लिए किसान को देसी बीज, स्थानीय जलवायु का ज्ञान और उन विधियों की जानकारी होना जरूरी है, जो रसायन मुक्त हों। किसान को जैविक खेती के समय सामने आने वाली समस्याओं के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है, फिर भी समुचित समाधान नहीं मिल पाता। इसलिए कृषि शिक्षा प्राप्त लोगों कर बड़ी जिम्मेदारी है। जैविक खेती के लिए सरकारों की ओर से चलाए जाने वाले कार्यक्रमों और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन की जरूरत है। किसान को उत्पाद का सही मूल्य मिले, तो वह जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित होगा। साथ ही, बाजार में बहुत से नकली जैविक कृषि उत्पाद भी भ्रमित करते हैं, जिस पर प्रभावी नियंत्रण होने पर ही असली जैविक कृषि करने वाले को लाभ मिलेगा। समर्पित जैविक कृषि करने वालों के लिए अलग से बाजार उपलब्ध कराना चाहिए, जिससे उनको उत्पाद उचित मूल्य पर बेचने में कठिनाई नहीं हो।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट, नई दिल्ली की रिपोर्ट 'स्टेट ऑफ ऑर्गेनिक एंड नेचुरल फार्मिंग इन इंडिया- चैलेंजेज एंड पॉसिबिलिटीÓ में अंकित कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के मार्च 2020 की सूचना के मुताबिक हमारे देश में 27.8 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में जैविक खेती हो रही है, जो देश के शुद्ध बोए गए क्षेत्रफल का मात्र 2 प्रतिशत है। भारत के केवल 19 लाख किसान ही जैविक खेती के लिए पंजीकृत हैं। यह भी किसानों का केवल 1.3 प्रतिशत है। देश के कुछ राज्यों ने 100 प्रतिशत जैविक या प्राकृतिक खेती का लक्ष्य बनाया है, जो यह इंगित करता है कि जैविक खेती अब आवश्यक हैं। हिमाचल प्रदेश ने 2022 तक, तो आंध्र प्रदेश ने 2027 तक पूर्ण प्राकृतिक कृषि राज्य बनने का लक्ष्य रखा है। सिक्किम देश का पहला पूर्ण जैविक राज्य बन चुका है। अन्य राज्यों का अभी छोटा सा हिस्सा ही इसके अंतर्गत आ पाया है, जो दर्शाता है कि हमारे देश में 2005 में आई जैविक नीति पर कोई विशेष काम नहीं हुआ हैं। रसायन मुक्त खेती को मुख्यधारा में जोडऩे के लिए तेजी से काम करने का समय आ गया हैं।

(लेखक ग्रीन एजुकेटर्स नेटवर्क, सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वायरनमेंट, नई दिल्ली से सम्बद्ध हैं)