scriptफिर हमला | Attacked again | Patrika News
ओपिनियन

फिर हमला

यह बात स्पष्ट होती जा रही है कि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस का चरित्र बिलकुल एक जैसा होता जा रहा है।

Sep 07, 2016 / 04:34 pm

Kamlesh Sharma

bjp and congress

bjp and congress

यह बात स्पष्ट होती जा रही है कि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस का चरित्र बिलकुल एक जैसा होता जा रहा है। कहने को भाजपा भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद की संवाहक होने का दिखावा करती है, पर असल में वह भी हमारे सांस्कृतिक मूल्यों को कांग्रेस की तरह ही ध्वस्त करने पर उतारू है। सवा दो साल पहले तत्कालीन संप्रग सरकार ने आपसी सहमति से यौन संबंध बनाने की उम्र 18 वर्ष से घटाकर 16 करने की जिद पकड़ी थी पर अन्तत: फैसला भारी विरोध के बाद रद्द करना पड़ा। आश्चर्य है अब भाजपा सरकार ने पुन: उसी रास्ते पर जाने की ठान ली है!
केन्द्र सरकार की ओर से नियुक्त एक पैनल ने यौन संबंधों की उम्र घटाने की संस्तुति अपनी ओर से कर दी है, अब 20 जुलाई को इस पर चर्चा करने के लिए कानून, गृह, स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य संबंधित लोगों की बैठक बुलाई गई है। वर्ष 2013 में तत्कालीन संप्रग सरकार ने तो यह प्रावधान लाने की पूरी तैयारी कर ली थी। तब ‘पत्रिका’ के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने 15 मार्च, 2013 को अग्रलेख ‘माफी मांगे’ लिखकर इसके दुष्परिणामों का गहराई से विवेचन किया था। 18 मार्च को सर्वदलीय बैठक में भाजपा सहित ज्यादातर राजनीतिक दलों के विरोध के बाद सरकार को उम्र घटाने की जिद छोडऩी पड़ी थी।
अब उसी भाजपा सरकार की ओर से नियुक्त पैनल अपनी रिपोर्ट में उसी मुद्दे को फिर से ले आया है। लगता है कि ये ‘विशेषज्ञ’ पाश्चात्य संस्कृति से इतने अभिभूत हैं कि भारतीय संस्कृति का समूल विनाश करने में उन्हें लेशमात्र भी हिचक महसूस नहीं होती। वे एक लचर सा तर्क देते हैं कि सहमति से यौन संबंधों की उम्र 18 साल होने से युवा पीढ़ी के यौन व्यवहार का अपराधीकरण हो रहा है और युवकों को झूठे मामलों में फंसाने के मामले बढ़ रहे हैं।
झूठे मामलों में फंसाना आपराधिक अनुसंधान की कमजोरी से आई विकृति है। ऐसी विकृति दहेज, छुआछूत, महिला उत्पीडऩ सहित दर्जनों कानूनों के दुरुपयोग के रूप में सामने आ रही है, लेकिन विकृति दूर करने के नाम पर अनुसंधान सुधारने के बजाय देश के सांस्कृतिक मूल्यों पर ही हमला कर देना कहां की समझदारी है?
यदि विशेषज्ञ मानते हैं कि 16 वर्ष की उम्र में आपसी सहमति से संबंध बनाने की छूट दी जानी चाहिए तो विवाह की उम्र 16 वर्ष क्यों नहीं कर दी जाती! क्या वे किशोर वय में यौन संबंध बनाने को प्रोत्साहन नहीं दे रहे? दो साल तक बिना विवाह किए यौन संबंध बनाने की छूट यौन उच्शृंखलता को ही बढ़ावा देगी।
सामाजिक मर्यादा और संस्कृति के खिलाफ कानून बनाने का अधिकार किसी को नहीं दिया जा सकता। ऐसे विषयों पर पहले देशभर में व्यापक बहस होनी चाहिए। चंद लोगों के पैनल को देश का जनमानस नहीं माना जा सकता।
कहते हैं कि सत्ता सब कुछ भुला देती है, पर संस्कार भी भुला दिए जाएं तो मान लेना चाहिए कि हम पशुसत्ता की ओर बढ़ रहे हैं, जो लोकतंत्र में तो कभी स्वीकार्य नहीं हो सकती।

Home / Prime / Opinion / फिर हमला

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो