11 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

संपादकीय : तकनीक, डेटा व नवाचार के क्षेत्र में निर्णायक बढ़त

वैश्विक पहचान वाली कंपनियों का भारत में बड़े स्तर पर निवेश करना दर्शाता है कि यहां का नियामक ढांचा, प्रतिभा पूल और डिजिटल आधारभूत ढांचा अब विश्वस्तरीय बन चुका है।

2 min read
Google source verification

जयपुर

image

ANUJ SHARMA

Dec 11, 2025

एक ओर दुनिया के दूसरे देश इन दिनों आर्थिक सुस्ती और बेरोजगारी की मार से जूझ रहे हैं, वहीं भारत में बड़े निवेश से युवाओं के लिए रोजगार, रिसर्च और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के नए रास्ते खुल रहे हैं। कहना न होगा कि भारत वैश्विक आर्थिक हलचलों के केंद्र में है। एक ओर अमरीका की दिग्गज टेक कंपनियां माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल और कॉग्निजेंट भारतीय अर्थव्यवस्था पर बड़ा दांव लगाने की तैयारी कर रही हैं तो वहीं दूसरी ओर अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति उनके अपने ही देश में सवालों के घेरे में आ रही है।

माइक्रोसॉफ्ट के सत्य नडेला द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद 17.5 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा सिर्फ एक बड़ा आर्थिक फैसला ही नहीं है, बल्कि यह संकेत है कि भारत तकनीक, डेटा और नवाचार के क्षेत्र में निर्णायक ताकत बनने की ओर बढ़ रहा है। वैश्विक पहचान वाली कंपनियों का भारत में बड़े स्तर पर निवेश करना दर्शाता है कि यहां का नियामक ढांचा, प्रतिभा पूल और डिजिटल आधारभूत ढांचा अब विश्वस्तरीय बन चुका है। इस बीच अमरीका के भीतर एक विरोधाभासी चित्र भी उभर रहा है। ट्रंप की आक्रामक टैरिफ नीति घरेलू महंगाई को बढ़ा रही है और इसका विरोध उनके अपने लोगों के बीच उभरने लगा है। अमरीकी उपभोक्ता और उद्योग जगत दोनों ही इस नीति के दुष्प्रभाव महसूस कर रहे हैं। भारतीय चावल पर टैरिफ लगाने की धमकी के बाद ट्रंप का विरोध तेज हो गया है। अमरीकी राष्ट्रपति को समझना होगा कि टेक्नोलॉजी, कृषि, ऊर्जा और रक्षा समेत कई क्षेत्रों में भारत और अमरीका सहयोग लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में व्यापारिक तनातनी से न तो भारत को लाभ होगा, न ही अमरीका को। इस भू-राजनीतिक तस्वीर में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा में नया पहलू जोड़ दिया है। इस यात्रा ने भारतीय युवाओं के लिए रूस में उच्च शिक्षा, स्टार्टअप सहयोग, और रोजगार के नए रास्ते भी खोले हैं। यह बदलाव खासतौर पर उस समय अहम हो जाता है जब अमरीकी वीजा नीतियां अनिश्चितताओं से भरी हैं। ऐसे में अब अमरीकन ड्रीम के धुंधलाने पर अब एक बड़ा वर्ग रूस को नए अवसरों की भूमि के रूप में देखने लगा है।

संदेश बिल्कुल साफ है कि भारत अब सिर्फ विकल्प नहीं, बल्कि प्राथमिकता बनता जा रहा है। चाहे अमरीका की कंपनियों का रेकॉर्ड निवेश हो, रूस के साथ मजबूत होती दोस्ती हो या वैश्विक व्यापार नीतियों की खींचतान। भारत हर जगह अपने हितों और रणनीतिक संतुलन को समझदारी से साध रहा है। भारत इस बदलाव का दर्शक नहीं, बल्कि बड़ा खिलाड़ी बन चुका है। ऐसे में व्यापार वार्ता के दौरान अमरीका को समझना होगा कि भारत पर किसी भी तरह का दबाव नहीं डाला जा सकता है। आने वाले वर्षों में यह परिवर्तन और तेज होगा। भारत को इस वैश्विक भरोसे को कायम रखना होगा।