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समसामयिक: एकजुटता से ही खत्म होगा आतंकवाद

—राज कुमार सिंह (राजनीतिक विश्लेषक और स्तंभकार )

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जयपुर

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VIKAS MATHUR

May 03, 2025

पहलगाम आतंकी हमले पर सर्वदलीय बैठक में किसी भी जवाबी कार्रवाई के लिए नरेंद्र मोदी सरकार को विपक्ष से मिले समर्थन के बीच कश्मीर ने पाकिस्तान को दो टूक जवाब दे दिया है कि उसे आतंकवाद नहीं चाहिए। पहलगाम आतंकी हमले पर सीमावर्ती संवेदनशील जम्मू-कश्मीर में मुखर हुए इस समर्थन को हमें हाथ से नहीं फिसलने देना चाहिए। पहलगाम में 26 पर्यटकों की धार्मिक पहचान पूछकर बर्बर हत्या की जवाबी कार्रवाई तय है।

दशकों से सीमा पार प्रायोजित आतंक का दंश झेल रहे कश्मीर में पहली बार आतंक का ऐसा मुखर विरोध दिखा कि कश्मीरियों ने बाकायदा कैंडल मार्च निकाले। पहली बार ही जम्मू-कश्मीर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर पहलगाम हमले की निंदा करते हुए दो टूक शब्दों में संदेश दिया गया कि कश्मीर और भारत एक ही हैं। कश्मीर के निर्वाचित जन प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित कर पहलगाम हमले की निंदा करते हुए उसे भारत की आत्मा पर हमला करार दिया। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का भावुक भाषण तो पूरे भारत का दिल जीतनेवाला रहा। बेशक अतीत के घटनाक्रम के मद्देनजर कश्मीर के ज्यादातर राजनेताओं की विश्वसनीयता संदेह और सवालों के घेरे में रही है, लेकिन पहलगाम के शोक और आतंकवाद के विरुद्ध आक्रोश में शेष देश के साथ शरीक होकर उमर और कश्मीर ने सबका दिल जीत लिया है।

आम कश्मीरी भी पाकिस्तान और उसके पालतू आतंकवादियों से तंग आ गया है। उनकी करतूतों से पर्यटन समेत अर्थव्यवस्था और जनजीवन तो बर्बाद हो ही चुके हैं। कश्मीर और कश्मीरियों की छवि भी खराब हुई है। पंजाब का अनुभव भी बताता है कि स्थानीय जन समर्थन और सहयोग के बिना अलगाववाद और आतंकवाद को समाप्त नहीं किया जा सकता। 1990 तक पंजाब में आतंकवाद बड़ी चुनौती बना हुआ था, लेकिन एक बार जब आतंकियों की करतूतों से तंग जनता मुखर हुई और पुलिस-प्रशासन से सहयोग करने लगी तो 1995 आते-आते आतंकवाद दम तोड़ गया। पंजाब से आतंकवाद खत्म करने में तत्कालीन पुलिस-प्रशासन ने भी जनता का विश्वास हासिल करते हुए बड़ी भूमिका निभाई। पंजाब के उस अनुभव से सीखते हुए जम्मू-कश्मीर में भी आतंकवाद के विरुद्ध मुखर जनाक्रोश को पुलिस-प्रशासन के साथ समर्थन और सहयोग में तब्दील किया जाए। वहां के युवा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, जिन्हें बेहतर शिक्षा और कॅरियर संभावनाएं चाहिए, पर जम्मू-कश्मीर की सरकार पर केंद्र सरकार के विश्वास के बिना यह संभव नहीं हो पाएगा।

पंजाब में भी अलगाववाद और आतंकवाद का समूल नाश तभी हो पाया, जब केंद्र व राज्य सरकार ने बेहतर समन्वय के साथ हर मोर्चे पर कार्रवाई की। उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा हमले के बाद एयर स्ट्राइक के सबूत मांगने वाले विपक्ष ने पहलगाम हमले के बाद जिस तरह किसी भी जवाबी कदम के लिए नरेंद्र मोदी सरकार के साथ एकजुटता जताई, उसे भी बिखरने नहीं देना चाहिए। पहलगाम हादसे ने हमें उससे उबर कर संवाद व समन्वय की राजनीति की ओर लौटने का अवसर दिया है।