-बाबूलाल जाजू, पीपल फॉर एनिमल्स, राजस्थान ……… मांसाहार की बढ़ती प्रवृत्ति भी जिम्मेदार पुराने समय में श्वानों को भारतीय संस्कृति के अनुसार रोटी दी जाती थी। वर्तमान में समाज में मांसाहार की प्रवृत्ति बढ़ रही है। उनको बचाखुचा मांसाहारी भोजन डाल दिया जाता है। ऐसे इलाकों में रहने वाले कुत्ते रोटी नहीं खात। वे क्रूर हो जाते हैं और आने-जाने वाले पर हमला कर देते हैं। मांसाहार का चलन बढऩे से मीट शॉप की भी वृद्धि हो रही है। इन दुकानों में जो बचा हुआ अपशिष्ट होता है वह सड़क पर ही डाल देते हैं, जो श्वान खा लेते हैं। जब उनको मांस नहीं मिलता तो वे आम आदमी पर हमला कर देते हैं। मीट शॉप वालों को पाबंद किया जाना चाहिए कि वे बचे हुए अपशिष्ट का सही तरीके से निस्तारण करें।
—बेनी प्रसाद कौशिक, तिजारा … दूर रहें श्वानों से श्वानों से लोगों को खतरा बना रहता है। इंजेक्शनों के द्वारा श्वानों की उत्तेजना को शिथिल किया जा सकता है। साथ ही जहां श्वान दो से ज्यादा हों वहां सावधानीपूर्वक जाएं। आमतौर पर बिना छेड़े श्वान हमला नहीं करता।
पुष्पा पाण्डेय, राची, झारखंड ….. संख्या नियंत्रित की जाए आजकल गली मोहलों से गुजरने में लोगों को डर लगने लगा है। विशेष कर बच्चों के लिए तो घरों से बाहर निकलना काफी असुरक्षित हो गया है। इनकी तादाद बढ़ रही है। इसलिए इनकी संख्या को नियंत्रित किया जाए।
—हुकुम सिंह पंवार, इन्दौर, मप्र … श्वानों का आतंक गली मोहल्लों में श्वानों ने आतंक मचा रखा है, कई लोग उनका शिकार भी हो गए हैं। कई छोटे बच्चों को श्वानों ने नोचकर मौत के घाट तक उतार दिया हैं। श्वानों का बधियाकरण किया जाए ताकि इनकी बढ़ती संख्या पर लगाम लगे।
—शुभम वैष्णव, सवाई माधोपुर …… नगर परिषद की जिम्मेदारी सड़कों पर आवारा श्वान घूमते रहते हैं और आते जाते राहगीरों पर हमला तक कर देते हैं और कई बार छोटे बच्चों को काट लेते हैं। यह नगर परिषद की जिम्मेदारी है कि इन श्वानों को पकड़ कर आबादी से दूर छोड़ आए
-लता अग्रवाल, चित्तौडग़ढ़ …. श्वानों का पेट भरें आमतौर पर श्वानों का यदि पेट भरा रहे तो वे कभी किसी पर हमला नहीं करते। शहर के रेस्टोरेंट से बचा हुआ खाना बटोरकर श्वानों को डाला जा सकता है। इस बात को समझना होगा कि श्वान ने सबसे पहले इंसान पर भरोसा किया और पहला पालतू पशु बना। -वीर बहादुर सिंह हाड़ा, कोटा
……….. श्वानों का टीकाकरण जरूरी श्वानों के हमले बढ़ रहे हैं। इसलिए प्रशासन को उन्हें पकडऩे की कार्रवाई करनी चाहिए। श्वानों को पकड़कर शहर से दूर छोडऩा चाहिए। श्वानों का टीकाकरण भी करवाना चाहिए। -रवि खवसे, मुलताई, मप्र