patrika opinion करने होंगे आपदा प्रबंधन को मजबूती देने के प्रयास
तमिलनाडु सरकार ने हाल ही लू को राज्य-विशिष्ट आपदा के रूप में अधिसूचित किया है। यानी लू से प्रभावित आबादी को अब आपदा प्रबंधन कोष से सहायता दी जा सकेगी। इसी साल अप्रेल व मई में तमिलनाडु में तेज गर्मी से जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ था।
Deadly heat increased 35 times due to global warming
दुनिया भर में गड़बड़ाते मौसम चक्र के बीच तापमान बढऩे के पुराने आंकड़े पीछे छूटते जा रहे हैं। बढ़ते तापमान की ये खबरें दुनिया के लिए चौंकाने से ज्यादा चिंता करने वाली हैं। भारत के लिए यह चिंता इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इस बार अक्टूबर माह के तापमान ने पिछले १२३ बरस बाद सबसे ऊंचे तापमान का स्तर तय कर लिया है। इस साल अक्टूबर का औसत तापमान २६.९२ डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है जो सामान्य से १.२३ डिग्री सेल्सियस ज्यादा है। वैसे भी भारत उन देशों में शामिल हैै जो गर्मी से ज्यादा प्रभावित रहते हैं। आम तौर पर दीपावली के आसपास हल्की ठंडक का दौर शुरू हो जाता है। लेकिन इस बार तो मौसम विभाग ने खास तौर से उत्तर पश्चिमी मैदानी इलाकों में नवम्बर में भी सामान्य से २ से पांच डिग्री तापमान ज्यादा रहने के संकेत दिए हैं। अ
क्टूबर में बढ़ते तापमान के भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी कीर्तिमान बनाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। जापान में वर्ष 1898 में तापमान दर्ज होने की शुरुआत के बाद से यह सबसे गर्म अक्टूबर है। जाहिर है जलवायु परिवर्तन के खतरे किसी खाास देश तक सीमित नहीं हैं, इससे हर देश को खतरा है। न केवल गर्मी में तेज गर्मी बल्कि सर्दी में कड़ाके की सर्दी और बरसात में अतिवृष्टि की मार पिछले सालों में देश-दुनिया में ज्यादा ही पडऩे लगी है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। जाहिर है तापमान के अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव के दौर में शीतलहर, लू व बाढ़ आदि का प्रकोप भी बढऩे ही वाला है। जलवायु परिवर्तन के तमाम कारणों को भले ही गिनाया जाता रहा हो लेकिन असल तथ्य यह भी है कि मौसम की भारी मार से निपटते समय हमारा आपदा प्रबंधन कमजोर ही साबित होता आया है। शायद इसी से सबक लेते हुए तमिलनाडु सरकार ने हाल ही लू को राज्य-विशिष्ट आपदा के रूप में अधिसूचित किया है। यानी लू से प्रभावित आबादी को अब आपदा प्रबंधन कोष से सहायता दी जा सकेगी। इसी साल अप्रेल व मई में तमिलनाडु में तेज गर्मी से जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ था।
आपदा चाहे किसी भी मौसम से जुड़ी हो, कभी कह कर नहीं आती। लेकिन समुचित बंदोबस्त हों तो इनसे निपटने में काफी मदद मिल सकती है। जहां तक भारत की बात है आने वाले महीनों में भी तापमान सामान्य से अधिक रहने के संकेत लगातार मिल रहे हैं। ऐसे में ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से निपटने के तमाम प्रयास जारी रखते हुए सबसे बड़ी जरूरत इस बात की भी रहने वाली है कि आपदा प्रबंधन को और मजबूत किया जाए ताकि किसी भी संकट का मुकाबला किया जा सके।
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