
प्रसंगवश : राजस्थानी भाषा: अपने ही सुध लेना भूले
कहावत है कि मोर नाचते वक्त बहुत प्रसन्न रहता है, लेकिन जब वह अपने पैरों को देखता है तो रोने लगता है। कुछ ऐसा ही हाल राजस्थानी भाषा Rajasthani language का है। तभी तो राजस्थान के समृद्ध इतिहास, संस्कृति तथा लोकगीतों के दम पर इतराने वाला प्रदेश का बाशिंदा राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं मिलने तथा राज्य की राजभाषा नहीं होने पर मन मसोस कर रह जाता है। उदासीनता की सबसे बड़ी वजह जनप्रतिनिधियों का एकमत नहीं होना भी है। विडंबना देखिए प्रदेश में राजस्थानी भाषा को पोषित व पल्लवित करने वाली राजस्थान साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष का पद भी लंबे समय से रिक्त पड़ा है। भाषा के प्रति ललक जगाने वाली चर्चित राजस्थानी पत्रिका 'जागती जोत' का प्रकाशन भी काफी समय से नहीं हो रहा है।
इधर, शिक्षा विभाग ने तो सरकारी उदासीनता के चलते राजस्थानी भाषा के प्रति एक तरह से आंख ही मूंद ही ली है। अगर आंकड़ों की बात करें तो जानकर आश्चर्य होगा कि प्रदेश के मात्र 64 स्कूलों में और उच्च शिक्षा में मात्र पांच कॉलेजों में राजस्थानी विषय संचालित है। प्रदेश के 27 सरकारी विश्वविद्यालयों में से महज चार में ही भाषा विभाग है। इनमें भी एक जगह अस्थायी है। इससे बड़ी बात यह है कि जहां राजस्थानी विषय संचालित है, वहां अधिकतर पद ही रिक्त पड़े हैं। गुजरात, पंजाब एवं दक्षिण भारतीय राज्यों में स्थानीय भाषा के माध्यम से युवाओं को रोजगार से भी जोडऩे का काम किया जा रहा है, जबकि राजस्थान में ढाई दशक से राजस्थानी के सहायक आचार्य पद की भर्ती तक नहीं निकली है। हाल में निकली भर्ती में भी राजस्थानी भाषा का कोई पद नहीं है। रीट परीक्षा में गुजराती, पंजाबी, उर्दू व सिंधी सहित सात भाषाओं का विकल्प है, लेकिन राजस्थानी का नहीं।
राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए वर्ष 2003 में तत्कालीन गहलोत सरकार ने प्रस्ताव बनाकर केन्द्र को भेजा था, लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकला। भाषाप्रेमियों की दलील है कि राज्य सरकार तो राजस्थानी को राजभाषा का दर्जा दे ही सकती है। वे छत्तीसगढ़ का उदाहरण भी देते हैं, जहां 16 भाषाओं को राजभाषा का दर्जा दिया गया है। नई शिक्षा नीति में भी बालक की प्राथमिक शिक्षा उसकी मातृभाषा में देने की बात कही गई है। बहरहाल, अब वक्त है कि सरकार इस दिशा में गंभीरता से प्रयास करे। राजस्थानी भाषा को रोजगार से जोडऩे के साथ हर जिले में स्कूलों में राजस्थानी साहित्य विषय शुरू करने से राजस्थानी को प्रोत्साहन मिलेगा।
Updated on:
12 Aug 2021 08:15 am
Published on:
12 Aug 2021 08:13 am
बड़ी खबरें
View Allओपिनियन
ट्रेंडिंग
