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गेमिंग के बढ़ते जाल पर सरकार का संतुलित समाधान

मानस गर्ग, तकनीकी विषयों के जानकार

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स्वीडिश लेखिका सेल्मा लैगरलोफ ने ‘द रैट ट्रैप’ नामक लघु कहानी लिखी थी, जिसमें संदेश दिया गया था कि दुनिया चूहेदानी की तरह है जहां लोग लालच और पैसों के मोह में फंसते चले जाते हैं। भारत में ऑनलाइन गेमिंग भी कुछ ऐसा ही जाल बन गई थी। पैसों के लालच में युवा इसमें फंसते जा रहे थे। स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी थी कि ऑनलाइन गेमिंग की लत से युवाओं की पढ़ाई और करियर पर बुरा असर पड़ने लगा।

कई युवाओं ने कर्ज लेकर गेम खेले और आर्थिक बर्बादी का सामना किया। मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ातनाव, चिंता, अनिद्रा और चिड़चिड़ापन बढ़ गया। हिंसक गेम्स ने आक्रामकता और सामाजिक अलगाव जैसी समस्याएं पैदा कीं। इन्हीं कारणों से सरकार को Promotion and Regulation of Online Gaming Act 2025 लाना पड़ा, जिसके तहत हानिकारक ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाया गया।

यह कानून केवल प्रतिबंध नहीं बल्कि सामाजिक सुरक्षा, आर्थिक मजबूती और युवाओं के उज्ज्वल भविष्य की गारंटी है। वर्तमान में भारत में करीब 59.1 करोड़ गेमर्स थे, जो वैश्विक गेमिंग आबादी का पांचवां हिस्सा है। नए कानून के तहत—
→ मनी गेम्स उपलब्ध कराने पर 3 साल जेल और 1 करोड़ रुपये जुर्माना।
→ विज्ञापन करने पर 2 साल जेल या 50 लाख रुपये जुर्माना।
→ बार-बार उल्लंघन करने पर 5 साल जेल और 2 करोड़ रुपये जुर्माना।

कानून के अनुसार गेमिंग ऐप चलाने वाले दोषी माने जाएंगे, लेकिन गेम खेलने वाले युवा अपराधी नहीं बल्कि पीड़ित समझे जाएंगे। सरकार ने इसके साथ नेशनल ऑनलाइन गेमिंग कमीशन की स्थापना की है, जो सुरक्षित और कौशल-विकास वाले वैध गेम्स को लाइसेंस देगा और उनकी निगरानी करेगा।

भारत सरकार का यह कदम विदेशी कंपनियों पर भी नियंत्रण रखता है और देश की डिजिटल संप्रभुता को मजबूती देता है। वर्ष 2023 में भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग का आकार 23 हजार करोड़ रुपये आंका गया था, और अनुमान था कि 2027 तक यह 70 हजार करोड़ तक पहुंच सकता था।

चीन में भी ऑनलाइन गेमिंग पर सख्त नियम हैं वहां नाबालिग खिलाड़ी हर महीने केवल सीमित खर्च कर सकते हैं और जुए या हिंसा वाले गेम्स को मंजूरी नहीं दी जाती।

भारत ने भी संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है—जहां मनोरंजन और सीख देने वाले गेम्स को बढ़ावा दिया जाएगा, लेकिन हानिकारक और सट्टेबाजी वाले गेम्स पर रोक रहेगी। यह कानून साफ संदेश देता है कि तकनीक का इस्तेमाल जरूर होगा, लेकिन युवाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज के हित को ध्यान में रखकर।

भारत में कितना कारोबार

23 हजार करोड़ रुपए आंकड़ा गया वर्ष 2023 में

70 हजार करोड़ रुपए पहुंच जाता वर्ष 2027 तक (अनुमानित)