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गुलाब सागर की खोई महक लौटे

निगाहबान : कब उगेगा सागर की उम्मीदों का सूरज  

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संदीप पुरोहित/जोधपुर। गुलाबराय ने सूर्यनगरी के सूखे ठों को तर करने के लिए क छोटा सागर बनवाया। जो गुलाब सागर कहलाया । एक शताब्दी से भी अधिक समय तक जोधपुर की प्यास बुझाता रहा यह गुलाब सागर । आजादी से पहले और आजादी के बाद जोधपुर अपनी रफ्तार से बढ़ता गया। पानी के दूसरे स्रोत भी विकसित होते गए। देखते ही देखते शहर के नीति निर्माताओं ने गुलाब सागर की उपेक्षा चालू कर दी। उसे आज इस हाल में पहुंचा दिया कि उसकी ओर कोई देखना भी पसंद नहीं कर रहा। जबकि यह जोधपुर की एक अमूल्य धरोहर है। सरकारें आती रही, जाती रही । गुलाब सागर के खोए हुए वैभव को लौटाने के वादे सभी राजनीतिक दलों ने किए है । पर ठोस काम कुछ भी नहीं हुआ । उसका पानी आज भी जस के तस गंदा है। हेरिटेज जालियां और लैम्प तोड़ दिए गए हैं। गंदगी के ढेर पड़े हैं। नशेड़ियों व चोरों के लिए पनाहगाह बन गया है। जोधपुर की जनता सरकारों के भरोसे कब तक हाथ पर हाथ रखे बैठी रहेगी।

आज इस बात की आवश्यकता है कि वहां के वाशिंदे, होटल-गेस्ट हाउस व बाजार के तमाम संघ एकजुट होकर इस गुलाब के पुनरुद्धार में जुट जाएं। आप सभी के कदम के साथ हम कदम से कदम मिलाकर आपके साथ होंगे। अगर गुलाब सागर का पुरा वैभव लौटता है तो निश्चय ही वहां पर्यटन बढ़ेगा, व्यापार बढ़ेगा, रोजगार के अवसर खुलेंगे। घंटाघर और गुलाब सागर देसी-विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद बन सकते है। बस आवश्यकता है इस बात की हैं, कि हम पहल करें। जब मांझी चट्टानों को काट कर रास्ता बना सकता है तो जोधपुर के मूल वाशिंदे अपने गुलाब सागर की कायापलट क्यों नहीं कर सकते? आओ हम सब मिलकर स्टेपवेल, घंटाघर से गुलाब सागर तक एक विशेष हेरिटेज कॉरिडोर बनाने में अपनी आहूति दें । अगर गुलाब सागर की कायापलट होती है और एक नया कॉरिडोर बन गया तो यकीन मानिये रोजगार के ऐसे अवसर खुलेंगे जैसे रिफाइनरी से बाड़मेर में खुले हैं। आप आगे बढ़े तो सरकारें व निगम अपने आप पीछे चले आएंगे। कदम बढ़ाओ...