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गुरु पर्व विशेष : गुरु नानक देव ने दिखाया था सौहार्द का मार्ग, शोषण मुक्त समाज निर्माण के लिए उनकी शिक्षाएं अपनानी होंगी

Guru Nanak Jayanti 2021: गुरु नानक देव के दर्शन एवं शिक्षाओं का एक पक्ष यह भी है कि उन्होंने वर्ण व्यवस्था का खुले शब्दों में विरोध किया। उन्होंने कहा कि असल में सारा विश्व, सारा समाज और सब लोग एक ही हैं। कोई भी उसके बाहर नहीं है। कोई भी ऊंचा-नीचा नहीं है। यह सत्य उनको समाज के अग्रदूत एवं क्रांतिकारी गुरु के रूप में स्थापित करता है।

Nov 19, 2021 / 10:00 am

Patrika Desk

गुरु पर्व विशेष : गुरु नानक देव ने दिखाया था सौहार्द का मार्ग, शोषण मुक्त समाज निर्माण के लिए गुरु नानक देव की शिक्षाएं अपनानी होंगी

गुरु पर्व विशेष : गुरु नानक देव ने दिखाया था सौहार्द का मार्ग, शोषण मुक्त समाज निर्माण के लिए गुरु नानक देव की शिक्षाएं अपनानी होंगी

कृष्ण कुमार रत्तू
(साहित्यकार और लेखक)

Guru Nanak Jayanti 2021: गुरु नानक देव ने समाज में समरसता के लिए प्रयास किए। उन्होंने शोषण, जुल्म एवं असमानता से भरे समाज के उस आम आदमी के लिए आवाज उठाई जो हाशिए पर था। उन्होंने पूरी दुनिया को अपनी वाणी के जरिए सत्य से जगाया। समाज को समरसता में बांधते हुए उन्होंने कहा कि एक परमात्मा ही एक सर्वशक्तिमान सत्य है, जिसे उन्होंने ओंकार का नाम दिया। उनकी लिखी हुई वाणी श्री गुरु ग्रंथ साहिब में शोभायमान है। उन्होंने लिखा- ‘जे हाउ जाणा आखा नाही। कहणा कथनु न जाई।’ अर्थात ईश्वर की ज्योति को जान लेने पर भी उसे शब्दों से व्यक्त नहीं किया जा सकता। ईश्वर को हृदय से अनुभव किया जा सकता है।

असल में गुरु नानक देव सदैव दुखियों एवं बेबस लोगों के साथ खड़े रहे। उनके दर्शन में मानव मात्र के प्रति प्रेम और करुणा दिखाई देती है। वे कहते हैं कि इस समाज में सब बराबर हैं। इस समूचे ब्रह्मांड में परमात्मा का ही नूर है। यह सब उसी का ही है । वह धरती, सूर्य और पानी का स्वामी है। वे चारों ओर घूमकर उपदेश करने लगे। उन्होंने चार यात्रा चक्र पूरे किए, जिनमें भारत, अफगानिस्तान, फारस और अरब के मुख्य मुख्य स्थानों का भ्रमण किया। इन यात्राओं को पंजाबी में ‘उदासियां ‘ कहा जाता है। उन्होंने सिख समाज में लंगर की परंपरा का श्रीगणेश किया, जो आज समूचे विश्व में अपनी तरह की एक अनूठी सामाजिक परंपरा बन गई है। उन्होंने हर चीज को साझा करना सिखाया, चाहे धन हो भोजन। गुरु नानक देव के दर्शन एवं शिक्षाओं का एक पक्ष यह भी है कि उन्होंने वर्ण व्यवस्था का खुले शब्दों में विरोध किया। उन्होंने कहा कि असल में सारा विश्व, सारा समाज और सब लोग एक ही हैं । कोई भी उसके बाहर नहीं है। कोई भी ऊंचा-नीचा नहीं है। यह सत्य उनको समाज के अग्रदूत एवं क्रांतिकारी गुरु के रूप में स्थापित करता है। आज भी विश्व के हर कोने में उनके प्रवचनों एवं शब्दों का कीर्तन गंभीरता से सुना जाता है। इसकी वजह यह है कि इसमें आम आदमी की आवाज नजर आती है और समाज की समरसता मजबूत होती है।

21वीं सदी के इस बदलते हुए समाज में गुरु नानक देव के शब्दों की और उनकी वाणी की प्रसंगिकता और भी बढ़ गई है, क्योंकि आज भी समाज में सांप्रदायिक और जातीय कटुता के साथ एक नफरत एवं हिंसा की आंधी चल रही है। अब भी समय है कि हम गुरु नानक देव को नमन करते हुए उनके दर्शन एवं शिक्षा को अपनाएं, ताकि समाज में सौहार्द का माहौल बने। आपसी भाईचारे को बढ़ाएं। गुरु नानक देव की शिक्षाओं पर चलने की आवश्यकता है, तभी हम शोषण मुक्त और संवेदनशील समाज का निर्माण कर पाएंगे।

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