
आपकी बात, शिक्षित व्यक्ति भी अंधविश्वास में कैसे फंस जाता है?
बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास आवश्यक
इस वैज्ञानिक युग में इंसान चांद पर बसने की सोच रहा है। इसके बावजूद आज भी बहुत बड़ा वर्ग अंधविश्वास के चंगुल में आसानी से फंस जाता है। अफसोस इस बात का है कि इसमें बहुत बड़ी संख्या शिक्षित लोगों की है। असल में अंधविश्वास की नींव बचपन में ही डाल दी जाती है। उनके दिमाग में अंधविश्वास से जुड़ी चीजें डाल दी जाती हैं। इसका फायदा बाबा व तांत्रिक लोग उठाते है। अत: बच्चों को वैज्ञानिक मानसिकता के साथ जीना सिखाएं, ताकि वे किसी अंधविश्वास के चंगुल में न फंसे।
-के.के. हिन्दुस्तानी, चौमूं, जयपुर
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कठिन परिस्थितियों में कमजोर हो जाता है आदमी
जीवन में कठिन परिस्थितियां जब आती हैं, तो व्यक्ति का विवेक काम करना बंद कर देता है और उसके सोचने-समझने की शक्ति क्षीण होने लगती है। वह परिस्थितियों से निकलने के लिए अन्य लोगों की सलाह लेता है। ऐसे में व्यक्ति को जो मार्ग दिखाई देता है, वह उस पर चलने लगता है। फिर जीवन में किए गए किसी गलत कार्य और भय की वजह से भी शिक्षित व्यक्ति अंधविश्वास का सहारा लेने पर मजबूर हो जाता है। वह उन परिस्थितियों से निपटने का मार्ग खोजता है और अंधविश्वास में फंस जाता है।
-वंदना पुणतांबेकर, इंदौर
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बचपन का असर
व्यक्ति अपने घर, परिवार एवं समाज में जिन परंपराओं, मान्यताओं को बचपन से देखता एवं सुनता आ रहा होता है, वह भी उन्हीं का पालन करने लगता है। यह अंधविश्वास उसके मन-मस्तिष्क पर इतना गहरा असर छोड़ देता है कि जीवन भर वह इन अंधविश्वासों से बाहर नहीं आ पाता। अगर बचपन से ही उसे अंधविश्वास से दूर रखा जाए, तो वह इससे बच सकता है।
-बंशी न्यौल, हनुमानगढ़
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परिवार का प्रभाव
व्यक्ति का मन और मस्तिष्क आस-पास के घटनाक्रम से सीखता है। धार्मिक एवं पारिवारिक कार्यक्रमों का जाने-अनजाने मन और मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है। आस्था का अतिरेक अन्धविश्वास को जन्म देता है। शिक्षित व्यक्ति को भी यह लगने लगता है कि तंत्र-मंत्र से समस्याओं का समाधान संभव है। इस तरह शिक्षित व्यक्ति भी अन्धविश्वास में फंस जाता है।
-नरेन्द्र कुमार शर्मा, जयपुर
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जरूरी है जागरूकता
लोगों को शिक्षित होने के साथ ही विवेकवान भी बनना होगा। अंधविश्वास के नाम पर लोग ठगे जा रहे हैं। इसके लिए सरकारों को कड़े कदम उठाने चाहिए और लोगों को जागरूक करना चाहिए।
-आलोक वालिम्बे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
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लालच है बड़ी वजह
सच्चाई यह है कि समाज में शिक्षितों की तादाद बहुत कम है। जिन्हें शिक्षित समझा जाता है, वास्तव में उन्होंने तो अर्थोपार्जन के लिए पढ़ाई की होती है। असली शिक्षित कभी भी अंधविश्वासी नहीं हो सकता। मानव स्वाभाविक रूप से लालची होता है, मानव की इसी प्रवृत्ति का लाभ चालाक लोग उठाते हैं और मानव को अंधविश्वास की ओर धकेल देते हैं। यहां तक कि जिस मीडिया पर समाज को जागरूक करने की जिम्मेदारी है, वह भी अंधविश्वास फैलाने वाली सामग्री परोसता है।
-हारून रशीद, जयपुर
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परेशान व्यक्ति की मजबूरी
जीवन में व्यक्ति कई बार ऐसी समस्याओं का सामना करता है, जिनका दूर-दूर तक कहीं कोई समाधान नजर नहीं आता और शिक्षित होने के बाद भी अन्तत: वह परेशान होकर आसानी से अंधविश्वास के चंगुल में फंस जाता है। उसे लगता है कि इस रास्ते से उसकी समस्या का समाधान मिल जाएगा।
-सुरभि चन्देल, राजपुर,मप्र
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मिथ्या धारणाएं
भारतीय व्यक्ति कितना भी शिक्षित क्यों न हो, वह थोड़ा बहुत अंधविश्वासी तो होता ही है। इन सबके पीछे मूल रूप से कहीं न कहीं हमारे पूर्वजों की मिथ्या धारणाएं हैं, जो सालों साल से चली आ रही हैं। येे जनमानस के अवचेतन मन में गहराई तक पैठी हुई हैं। लोगों में सही सोच एवं समझ का अभाव, धर्मान्धता की ओर झुकाव, सामाजिक एवं धार्मिक मान्यताएं बड़़ी समस्या है। इन सबके अलावा वैज्ञानिक दृष्टिकोण का अभाव,भी अंधविश्वास में फंसने का कारण होता है।
-डॉ. राकेश कुमार गुर्जर, सीकर
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निराश व्यक्ति का सहारा अंधविश्वास
प्रत्येक शिक्षित व्यक्ति का अपना सपना होता है कि वह अच्छी नौकरी या व्यापार करे। मुश्किल यह है कि बढ़ती बेरोजगारी और डगमगाती अर्थव्यवस्था ने अनेक शिक्षित युवाओं के सपनों को खत्म किया है। ऐसे में शिक्षित युवा अपने सपनों को पूरा करने के लिए अंधविश्वास से जुड़े रास्ते पर भी चलने लगता है।
-निखिल सेन, कोटा
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बच्चों को दूर रखें अंधविश्वास से
बचपन में ही परिवार के बड़े बुजुर्ग बच्चों में काल्पनिक भय पैदा कर देते हैं। ऐसा करने से ये हो जाएगा, ऐसा करने से ये नहीं होगा। ऐसे माहौल में पला-बढ़ा व्यक्ति कितना भी शिक्षित हो जाए, कितना ही बड़ा हो जाए, अंधविश्वास से बच नहीं पाता। अत: बच्चों को अंधविश्वासों से पूरी तरह दूर रखना चाहिए।
-हीरालाल शर्मा खाजपुर, झुंझुनूं
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बिना कुछ किए अमीर बनने का सपना
शिक्षित व्यक्ति अंधविश्वास के मकडज़ाल में तभी फंसता है, जब वह अपनी किसी समस्या का हल लाख कोशिश करने के बाद भी नहीं निकाल पाता या फिर बिना मेहनत के उच्च पदवी पाना चाहता हो। बिना कुछ किए अमीर बनने का सपना भी व्यक्ति को अंधविश्वास की तरफ ले जाता है।
-राजेश कुमार चौहान, जालंधर
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अंधविश्वास है कमजोर व्यक्तित्व का संकेत
व्यक्ति शिक्षित हो या अशिक्षित वह अपने घर, परिवार एवं समाज में जिन परम्पराओं, मान्यताओं को देखता एवं सुनता आ रहा होता है, वह भी उन्हीं का अक्षरश: पालन करने लगता है। जीवन में असफल रहे लोग अधिकतर अंधविश्वास में उलझ जाते हैं। अंधविश्वास अधिकतर कमजोर व्यक्तित्व, एवं कमजोर मानसिकता के लोगों में देखने को मिलता है।
-कोमल जाट, राजसमन्द
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जरूरी है दृढ़ निश्चय
शिक्षा हमें विवेक बुद्धि के आधार पर निर्णय लेने वाला व्यक्तित्व प्रदान करती है और विज्ञान सम्मत दृष्टि प्रदान कर अन्धविश्वाश के अंधेरे पथ में जाने से रोकने में समर्थ होती है। शिक्षित व्यक्ति अक्सर अन्धविश्वास की चपेट से स्वयं को बचाने में समर्थ होता है, किन्तु जब कोई दुविधापूर्ण मुद्दा सामने आ खड़ा होता है, तब वह भी अन्धविश्वास में उलझता है। दृढ़ निश्चय और विवेक का उपयोग कर वह अंधविश्वास से बाहर आ सकता है।
-नागेश कुमार श्रीवास्तव, भिलाई, छत्तीसगढ़
Published on:
01 Jan 2021 04:39 pm
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