प्रदेश में अब आमजन से जुड़ी परिवहन सेवा रोडवेज में भी निजी क्षेत्र को आमंत्रित किया जा रहा है। करोड़ों रुपए सालाना का घाटा झेल रहे रोडवेज में निजी क्षेत्र की साझेदारी में बस स्टैंड अब चमचमाते एयरपोर्ट की माफिक नजर आएंगे। हालांकि यह योजना फिलहाल चुने हुए बस स्टैंडों के लिए ही है। गुजरात मॉडल पर आधारित ये बस स्टैंड नजीर बनेंगे, ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए। निजी कंपनी के साथ समझौते के पहले चरण में आठ शहरों के बस स्टैंडों को शामिल किया गया है। यहां बीओटी की तर्ज पर निजी क्षेत्र से समझौता किया जाएगा। बस स्टैंड पर रेस्टोरेंट, एसी वेटिंग रूम, सुलभ शौचालय, एटीएम सहित विभिन्न सुविधाओं के साथ सौैंदर्यीकरण कार्य भी शामिल किया गया है। सरकार ने जयपुर स्थित सिंधी कैम्प बस स्टैंड के सौंदर्यीकरण का काम अपने हाथ में लिया था। आठ साल से अधिक समय होने के बाद भी तय मापदंडों के अनुसार वहां पर काम नहीं हो पाया और ना ही सुविधाएं मिल पाई है। आज राजस्थान रोडवेज के पास विभिन्न शहरों में प्राइम लोकेशन्स पर मौजूद जमीनों का पूरा उपयोग हो, इस दिशा में बस स्टैंडों को स्तरीय बनाने के प्रयासों का स्वागत है। इस कवायद से क्या रोडवेज घाटे से उबर पाएगी? इन बस स्टैंडों पर मिलने वाली सुविधाओं का यात्रियों पर भार कितना पड़ेगा, इसका भी अध्ययन होना चाहिए।
बढ़ते घाटे के कारण रोडवेज को अपने कर्मचारियों को वेतन, पेंशन व अन्य भत्ते देने में खासी परेशानी हो रही है। बसों के संचालन और नवीन खरीद को लेकर भी सरकार का मुंह देखना होता है। रही सही कसर रोडवेज की निजी परिवहन संचालकों से होने वाली प्रतिस्पर्धा ने पूरी कर दी है। अब देखना है कि निजी कंपनियों के सहयोग से रोडवेज को घाटे से बाहर लाने के साथ ही आमजन को भी बेहतर पर सेवाएं उपलब्ध कराने के ये प्रयास धरातल पर किस तरह से उतरते हैं।
-शरद शर्मा
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