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प्रसंगवश : दूरदराज के इलाकों में इंटरनेट की हाईस्पीड सेवा की कछुआ चाल

'डिजिटल इंडिया' की मुहिम पर समन्वय का अभाव व सरकारी लेटलतीफी हावी होती दिख रही है ।

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सरकारी योजनाओं का फायदा उठाने की बात हो या फिर अत्यावश्यक सेवाओं की सुचारू उपलब्धता की। इंटरनेट अब जीवन का अहम अंग बन चुका है। डिजिटल भुगतान से लेकर ऑनलाइन शिक्षा तक इंटरनेट के कारण ही संभव हो पा रही है। देखा जाए तो आज इंटरनेट के बिना पूरी दुनिया में कामकाज की रफ्तार तेज होने की उम्मीद नहीं की जा सकती। दूरदराज इलाकों में चिकित्सा व्यवस्था और सरकारी महकमों में जनता से जुड़े कामकाज भी काफी हद तक इंटरनेट सुविधा पर आश्रित हो गए हैं। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि दूरदराज के इलाकों में संचार क्रांति पहुंचाने के प्रयास पिछले वर्षों में खूब हुए हैं।

केंद्र और राज्य सरकार ने ई-गवर्नेंस सेवा को सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों तक सुदृढ करने के लिए सालभर पहले ही 'फाइबर टू द होम' के जरिए हाईस्पीड इंटरनेट सेवा पहुंचाने की कवायद भी शुरू की थी। इसका उद्देश्य दूर दराज के इलाकों तक केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का सीधा लाभ देना था। राजस्थान के चार हजार गांवों में आठ हजार सरकारी कार्यालय, स्कूल और डिस्पेंसरी को इस सेवा से जोडऩे का लक्ष्य रखा गया था। दूरसंचार विभाग की ओर से राज्य सरकार को करीब 120 करोड़ रुपए भी जारी कर दिए गए। राजस्थान के सूचना और प्रौद्योगिकी विभाग ने बीएसएनएल के माध्यम से काम कराने का निर्णय कर राशि जारी भी कर दी। लेकिन चिंता की बात यह है कि केंद्र सरकार की 'डिजिटल इंडिया' की मुहिम पर सरकारी लेटलतीफी हावी होती दिख रही है। करीब एक साल बीत जाने के बाद भी जिम्मेदारों में समन्वय के अभाव में हाईस्पीड इंटरनेट का काम अभी तो शुरू ही नहीं हो पाया है।

एक तरफ इंटरनेट में एआइ तकनीक के उपयोग ने कामकाज और आसान किया है वहीं तमाम सुविधाओं के बाद भी सरकारी कार्यप्रणाली अपने पुराने ढर्रे पर ही चल रही है। इस लेटलतीफी के कारण सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां खराब मोबाइल कनेक्टिविटी के कारण लोगों का आपस में बात करना तक मुश्किल हो रहा है, वहां हाईस्पीड इंटरनेट के जरिए तमाम सेवाओं को सुचारू कर आमजन को राहत मिलना फिलहाल दूर की कौड़ी बना हुआ है। ऐसे में ज्यादा परेशानी उनको हो रही है जिन्हें केंद्र व राज्य सरकार की पेंंशन, राहत या अन्य योजनाओं का पैसा डिजिटली ट्रांसफर किया जा रहा है। राज्य सरकार को संबंधित एजेंसियों को पाबंद करना होगा कि वे काम की रफ्तार बढ़ाएं ताकि लोगों को राहत मिले अन्यथा लोग परेशान होते ही रहेंगे।

  • शरद शर्मा