यह भी जरूरी है कि ऐसा कोई भी विवाद जैसे ही खड़ा हो, उसके समाधान के तुरन्त और ठोस उपाय हों।
•Feb 17, 2018 / 04:10 pm•
सुनील शर्मा
kaveri river dispute
“सरकारें चुनावों को देखती हैं और न्यायालय अपने यहां मुकदमों के अंबार को। कीमत चुकाती है देश की जनता।”
कावेरी जल विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय ने अपना अन्तिम फैसला सुना दिया। इस फैसले से तमिलनाडु को मिलने वाले पानी की मात्रा में थोड़ी कमी आई है जबकि कर्नाटक का हिस्सा उतना ही बढ़ा है। लाजिमी तौर पर कर्नाटक खुश हुआ है और तमिलनाडु वालों के चेहरे पर मायूसी है। लेकिन क्या यह मायूसी होनी चाहिए? आखिर न्यायालय ने नदी जल विवाद न्यायाधिकरण के दस साल पुराने फैसले में कोई परिवर्तन किया है तो वह बदलाव उसने बेंगलूरु की पेयजल जरूरतों के लिए किया है। यद्यपि बेंगलूरु की औद्योगिक इकाईयों की बढ़ी हुई पानी की जरूरतों को उसने दोयम नम्बर पर रखा है।Hindi News / Prime / Opinion / मायूसी क्यों हो?