15 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

क्रियान्वयन की कमी

प्रधानमंत्री मंत्रियों से नए साल के जश्न के लिए छुट्टियां नहीं मनाने का आग्रह कर रहे हैं लेकिन पांच-सात मंत्रियों को छोड़ कर उनकी बात मानता कोई नहीं दिख रहा

2 min read
Google source verification

image

Shankar Sharma

Dec 29, 2015

 Opinion news

Opinion news

डिजीटल इंडिया, मैक इन इंडिया और स्वच्छ भारत अभियान के बाद अब केन्द्र सरकार स्टार्टअप नीति पेश करने जा रही है। कहा जा रहा है कि नियम-कानूनों को इतना सरल बनाया जाएगा कि चार घंटे में कम्पनी खड़ी हो जाएगी।

स्टार्टअप नीति के लिए वित्त मंत्रालय कोष बनाने और आयकर नियमों को भी सरल बना रहा है। नीति को सफल बनाने के लिए तमाम विभागों और नीति आयोग के साथ ई-कम्पनियों के शीर्ष अधिकारियों से बातचीत अंतिम दौर में है। सुनने में अच्छा लग रहा है और सुकून भी मिल रहा है। लगता है वाकई भारत बदल रहा है। क्या सिक्के का दूसरा पहलू भी इतना चमकदार है? चार घंटे में कम्पनी खड़ी भी हो जाएगी, इससे आगे क्या? पिछले साल गांधी जयंती पर 'स्वच्छ भारत अभियान' शुरू हुआ तो लग रहा था भारत गांधीजी को नए रूप में श्रद्धांजलि देने जा रहा है।

प्रधानमंत्री से लेकर मंत्री तक और मुख्यमंत्री से लेकर सांसद-विधायक और पार्षद भी उतर गए थे शहर को साफ करने के लिए। टीवी चैनलों से लेकर अखबारों में उन दिनों चर्चे थे तो बस सफाई के। घंटे बीते, दिन बीते, सप्ताह बीते, महीना बीतने भी नहीं पाया कि सफाई हो गई हवा-हवाई! एकाध जगह तो भाजपा नेताओं ने पहले कूड़ा डाला और फिर सफाई कर फोटो खिंचाने की खबरें सामने आईं। स्वच्छ भारत अभियान शुरू हुए सवा साल बीता है लेकिन आज प्रधानमंत्री के 'मन की बात' कार्यक्रम या टीवी चैनलों के विज्ञापनों के सिवाय कहीं नजर नहीं आता।

कोई भी अभियान अकेले सरकार के बूते सफल नहीं हो सकता। उसमें जन-जुड़ाव जरूरी है। जब मंत्री और सांसद ही अभियान को खानापूर्ति समझने लगें तो जनता से उम्मीद कैसे और क्यों की जाए? प्रधानमंत्री मंत्रियों से नए साल के जश्न के लिए छुट्टियां नहीं मनाने का आग्रह कर रहे हैं लेकिन पांच-सात मंत्रियों को छोड़ उनकी बात मानता कोई नहीं दिख रहा।

नई सरकार ने 19 महीने में इतनी योजनाएं शुरू कर दीं कि मंत्रियों को भी शायद सबका नाम याद ना हो। प्रधानमंत्री जन-धन योजना, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, मुद्रा बैंक योजना, जीवन ज्योति बीमा योजना, अटल पेंशन योजना, ग्राम सिंचाई योजना, संसद आदर्श ग्राम योजना, भूमि स्वास्थ्य कार्ड योजना, स्किल इंडिया, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, पंडित दीनदयाल उपाध्याय श्रमेव योजना आदि-आदि। सवाल ये नहीं कि सरकार कितनी योजनाएं शुरू करती हैं। सवाल ये बड़ा है कि योजनाओं की क्रियान्विति हो भी रही है या नहीं। स्टार्टअप नीति भले देर से शुरू हो लेकिन इसके सभी पहलुओं पर चिंतन-मनन जरूर कर लिया जाए ताकि ये योजना दिखावे की साबित ना हो।