इसी प्रकार, एक संवेदनशील लीडर न केवल सफलता के प्रति उत्साही होता है बल्कि संगठन के मिशन व मूल्यों में भी निवेश करता है। इससे अन्य अधीनस्थ भी अनुसरण करने के लिए उत्सुक होते हैं। जुनून प्रदर्शन को प्रेरित करता है, संवेदनशीलता टीम में स्थिरता व सामंजस्य सुनिश्चित करती है। संवेदनशील लीडर विचारशील होते हैं, जो टीम के सदस्यों की जरूरतें, भावनाएं और परिस्थितियां समझते हैं। उदाहरण के लिए, मैं अपने शुरुआती दिनों में एगोनी अंकल कॉलम लिखता था, जो परिणाम था एक अखबार के संपादक द्वारा मुझ में करुणा की पहचान का। विचारशील मार्गदर्शन से मैंने दूसरों के संघर्षों और चुनौतियों की समझ का प्रदर्शन किया। यही करुणा अब मेरे पेशेवर जीवन में भी दिखाई देती है, जहां मैं अपनी टीम या विद्यार्थियों की भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक भलाई को हर चीज से ज्यादा प्राथमिकता देता हूं।
मेरा मानना है कि जो लीडर जुनून से पूर्ण होते हैं, वे स्वत: ही संवेदनशील बन जाते हैं। एक ओर जहां वे साहसिक पहल करने, बाधाओं को दूर करने और उत्साह के साथ अपनी टीम को प्रेरित करने में सक्षम होते हैं, वहीं वे महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य भी तय कर पाते हैं। वे एक संतुलित नेतृत्व दृष्टिकोण से पूर्ण होते हैं। यह दृष्टिकोण संगठनात्मक प्रदर्शन बढ़ाने के साथ व्यक्तिगत प्रभावशीलता को भी मजबूत करता है। इससे लीडर और उनकी टीम, दोनों के लिए स्थायी सफलता और सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं।