राजस्थान की युवा पीढ़ी की आंखों की चमक लौटने लगी है। सरकारी नौकरी पाने के सपने देखने वाली ये आंखें पिछले एक दशक में धुंधला गई थीं। नकल के दंश की पीड़ा से प्रदेश के लाखों युवाओं की उम्मीदें मर चुकी थीं। लेकिन पिछले तीन महीनों में तेज कार्रवाई ने इन उम्मीदों में फिर जान फूंक दी हैं।
इस दौरान नकल गिरोहों की धरपकड़ तो हुई ही, नकल करके सरकारी नौकरी हासिल करने वाले भी सलाखों के पीछे पहुंचे। सबसे बड़ी बात यह है पिछले दो महीनों में 11 बड़ी परीक्षाएं सफलतापूर्वक आयोजित हो चुकी हैं। हालांकि इसे अभी शुरुआत ही माना जाना चाहिए क्योंकि नकल गिरोहों के असल सरगना रसूखदार लोग हैं, जिन्होंने अपने गुर्गों की आयोगों और बोर्डों में घुसपैठ कराई थी।
राजस्थान ही नहीं, देश के विभिन्न राज्यों में पिछले एक दशक में नकल माफिया तेजी से पनपे हैं। कहीं पेपर चुरा कर बेचे जाते हैं तो कहीं सामूहिक नकल कराई जाती है। साल भर मेहनत कर सरकारी नौकरियां हासिल करने का सपना देखने वाले युवाओं के अरमान धरे रह जाते हैं। दूसरी ओर, नकल माफियाओं के जरिए नकलची लोग पैसे के बूते पर नौकरियां हासिल कर लेते हैं। सरकारें कार्रवाई का दिखावा तो करती हैं, पर असर कुछ खास नहीं होता।
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने दृढ़इच्छा शक्ति दिखाते हुए नकल माफिया को उखाड़ फेंकने के संकल्प पर आगे बढ़ने का निर्णय किया। प्रदेश की जनता को याद होगा कि मुख्यमंत्री ने 15 दिसंबर, 2023 को शपथ लेते ही पहला काम उसी दिन स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम गठित कर अपना इरादा प्रकट कर दिया था।
राजस्थान के अभ्यर्थियों को पहला बड़ा धक्का तब लगा था जब पेपर लीक होने के बाद राजस्थान प्रशासनिक सेवा परीक्षा-2013 को रद्द कर दिया गया। वर्ष 2020 के बाद तो पेपर लीक मामलों की कतार लग गई। वरिष्ठ अध्यापक परीक्षा, कनिष्ठ इंजीनियर परीक्षा, रीट आदि परीक्षाओं में पर्चे लीक होते गए। माफियाओं ने आरपीएससी और अन्य भर्ती एजेंसियों तक में घुसपैठ बना ली। बिना राजनीतिक संरक्षण ऐसा संभव नहीं था। हालांकि पिछली सरकार ने भी भर्ती परीक्षाओं की जांच का कार्य एस.ओ.जी. को सौंपा था। बहुत सी गिरफ्तारियां भी हुईं। राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा को भी गिरफ्तार किया गया, लेकिन धांधलियों और पेपर लीक की घटनाओं पर रोक नहीं लग पाई। दूसरे माफियाओं के राजनीतिक आकाओं का कुछ भी नहीं बिगड़ा।
वर्तमान सरकार ने स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम की कमान अतिरिक्त महानिदेशक स्तर के अधिकारी को सौंपी है। एफ.एस.एल. को सक्रिय किया है। विशेष हेल्पलाइन भी बनाई है। परीक्षा स्थलों के आसपास कैंप लगाए जा रहे हैं। नकल के बूते पर पुलिस में नौकरियां हासिल करने वाले कई लोग पकड़े गए हैं। इन सबका नतीजा यह हुआ कि इस साल राज्य लोक सेवा आयोग की चार और कर्मचारी चयन बोर्ड की 7 परीक्षाएं सफलतापूर्वक आयोजित की गईं।
पर केवल इतने भर से संतोष नहीं किया जा सकता। नकल माफियाओं को संरक्षण देने वालों पर भी सख्त कार्रवाई जरूरी है। इसके अलावा फर्जी तरीकों से नौकरी हासिल करने वालों की हर विभाग में पहचान कर उन्हें सलाखों के पीछे भेजना जरूरी है। अब तक जो लोग पकड़े गए हैं, उन्हें ही ‘किंग पिन’ मानना भूल होगी। असल काले चेहरे राजनीतिक और प्रशासन में हैं। जांच आगे बढ़ेगी तो कई तरह के दबाव आएंगे। इन दबावों को दृढ़तापूर्वक ठुकरा देने से ही राजस्थान से नकल माफिया का पूरी तरह सफाया हो पाएगा।
Updated on:
01 Aug 2024 11:45 am
Published on:
08 Mar 2024 10:35 am
बड़ी खबरें
View Allओपिनियन
ट्रेंडिंग
