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Sant Ravidas Jayanti 2023: मानवतावादी संत थे रविदास, कबीर से था खास नाता

Sant Ravidas Jayanti Magh Purnima को मनाई जाती है। यह तिथि इस साल 5 फरवरी को पड़ रही है। वाराणसी में जन्मे इस मानवतावादी संत का समकालीन संत कबीर दास से खास नाता था। संत रविदास जयंती (Guru Ravidas Jayanti) पर आइये जानते हैं इनके बारे में खास बातें।

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Pravin Pandey

Feb 03, 2023

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Guru Ravidas Biography: संत रविदास का जन्म 1376 ईं. माघ पूर्णिमा (Magh Purnima) रविवार को वाराणसी के गोवर्धनपुर गांव में हुआ था। कहते हैं रविवार को जन्म के कारण ही इनका नाम रविदास पड़ा था। इनके पिता का नाम संतोख दास और माता का नाम कर्मा देवी था। ये कबीरदास के गुरु भाई और रामानंद के शिष्य थे। चर्मकार कुल से होने के कारण जूते बनाने का कार्य करते थे।

मानवतावादी संत थे रविदासः कई जगहों पर संत रविदास का नाम रैदास भी मिलता है। उनका जन्म ऐसे समय में हुआ था, जब भारत में धर्मांतरण जोर पर था। लेकिन लालच और दबाव के बाद भी उन्होंने धर्मांतरण करने की जगह मानवता की सेवा पर ही ध्यान दिया। इनके भक्तों में हर जाति के अनुयायी हैं। कहा जाता है कि एक बार सदना पीर उनका धर्मांतरण कराने पहुंचा था। लेकिन वह उसके दबाव के आगे नहीं झुके। कबीरदास ने संतन में रविदास कहकर उनका उल्लेख किया है। चित्तौड़ में संत रविदास की छतरी बनी हुई है, वहीं 1540 ईं. में उन्होंने देह त्याग दिया।

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संत रविदास के अनमोल विचार (Sant Ravidas Views)

संत रविदास भक्त कवि थे, उन्होंने भी अपने गुरुभाई और समकालीन कवि कबीरदास के समान आडंबरों पर प्रहार किए हैं। आइये जानते हैं संत रैदास के अनमोल विचार जो आगे बढ़ने की राह दिखाते हैं।

1. भगवान उस हृदय में निवास करते हैं जिसके मन में किसी के मन में बैर भाव नहीं है, कोई लालच या द्वेष भाव नहीं है।
2. ब्राह्मण मत पूजिए होवे गुणहीन, पूजिए चरण चंडाल के जो होवे गुण प्रवीन कहकर उन्होंने जन्म की जगह कर्म कीश्रेष्ठता पर जोर दिया। स्वामी रविदास ने कहा कि कोई भी व्यक्ति छोटा या बड़ा अपने जन्म के कारण नहीं अपने कर्म के कारण होता है। व्यक्ति के कर्म ही उसे ऊंचा या नीचा बनाते हैं।


3. हमें कर्म करते रहना चाहिए और फल की आशा छोड़ देनी चाहिए। क्योंकि कर्म हमारा धर्म है और फल हमारा सौभाग्य।
4. कभी भी अपने अंदर अभिमान को जन्म लेने न दें, छोटी सी चींटी शक्कर के दानों को बीन सकती है, लेकिन विशालकाय हाथी ऐसा नहीं कर सकता।


5. मोह माया में फंसा व्यक्ति भटकता रहता है, इस माया को बनानेवाला ही मुक्तिदाता है।
6. जौ मन चंगा त कठौती में गंग, अगर मन पवित्र है तो व्यक्ति के आसपास पवित्रता ही रहेगी।