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आत्म-दर्शन : भक्ति का महत्त्व

भक्ति के बिना संसार का सारा ऐश्वर्य फीका है। ज्ञान, भक्ति और कर्म का उपदेश देती है – गीता।

Oct 26, 2021 / 02:23 pm

Patrika Desk

Swami Avdheshanand Giri

Swami Avdheshanand Giri

स्वामी अवधेशानंद गिरी

संसार के सभी सुख और ऐश्वर्य भगवान की कृपा के बिना भी मिल सकते हैं, लेकिन भक्ति बिना भगवत कृपा के नहीं मिलती। अधर्म और अनीति से कमाया गया धन कभी फलीभूत नहीं होता। भक्ति के बिना संसार का सारा ऐश्वर्य फीका है। ज्ञान, भक्ति और कर्म का उपदेश देती है – गीता।

भक्त वही है जो निष्काम कर्म करता है। भक्ति के बिना मनुष्य का जीवन वैसा ही है, जैसे बिना पानी के बादल। प्रभु भक्ति से मनुष्य का मन निर्मल होता है। भक्ति में लीन रहने वाले भक्त के सभी दुख प्रभु हर लेते हैं। भगवान की सदा दीनों पर कृपा रहती है, तभी उन्हें दीनानाथ कहा जाता है। सुदामा धन से भले ही दरिद्र रहे, लेकिन उनके मन में भक्ति भाव का अभाव कभी नहीं रहा। यही वजह है कि वे प्रभु की कृपा के पात्र बने।

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