शरीर ही ब्रह्माण्ड : ब्रह्माण्ड का एक ही बीज
जयपुरPublished: Jul 24, 2021 07:13:04 am
प्रत्येक बीज का शरीर कारण, सूक्ष्म व स्थूल-इन तीन भागों में विभक्त रहता है। बीज की देह स्थूल शरीर है- जैसे आम की गुठली का कवच-कठोर-दृढ़ रूप।
- गुलाब कोठारी सभी चौरासी लाख योनियों का ब्रह्म ही एकमात्र बीज है। यही गॉड पार्टिकल कहा जा सकता है। शुद्ध प्राण रूप है। पूर्ण निराकार, निर्विकार। ब्रह्म निराकार है, बीज साकार होता है। ब्रह्म का ऋत* रूप बृंहण यानी फैलाव सृष्टि की उत्पत्ति नहीं कर सकता और उसकी शक्ति माया भी ऋत रूप ही है। दोनों मिलकर परात्पर भाव में सृष्टि नहीं कर सकते। उनको सत्य** भाव में आना अनिवार्य है। प्रलयकाल में भी यह सत्य संस्था ब्रह्मा रूप में विष्णु की नाभि में उपलब्ध रहती है। देवों की निर्बलता के कारण गति उपलब्ध नहीं होती। यह स्पन्दन रूप में बनी रहती है।