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शरीर ही ब्रह्माण्ड Podcast: प्रकृति ही योनियों का आधार

Gulab Kothari Article Sharir Hi Brahmand: प्रकृति का प्रभाव मन पर पड़ने से सभी विषयों के बारे में निर्णय बदल जाता है। प्रकृति की भूमिका जीवन को जटिल बना देती है। चौरासी लाख योनियों के निर्माण में इस प्रकृति की मूल भूमिका है। प्रकृति ही फलेच्छा के साथ कर्म करने को प्रेरित करती है। फल प्राप्ति ही पुनर्जन्म और भोग योनियों के निर्माण का मुख्य सूत्र है... 'शरीर ही ब्रह्माण्ड' श्रृंखला में सुनें पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी का यह विशेष लेख- प्रकृति ही योनियों का आधार

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शरीर ही ब्रह्माण्ड Podcast

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Gulab Kothari Article शरीर ही ब्रह्माण्ड:
"शरीर स्वयं में ब्रह्माण्ड है। वही ढांचा, वही सब नियम कायदे। जिस प्रकार पंच महाभूतों से, अधिदैव और अध्यात्म से ब्रह्माण्ड बनता है, वही स्वरूप हमारे शरीर का है। भीतर के बड़े आकाश में भिन्न-भिन्न पिण्ड तो हैं ही, अनन्तानन्त कोशिकाएं भी हैं। इन्हीं सूक्ष्म आत्माओं से निर्मित हमारा शरीर है जो बाहर से ठोस दिखाई पड़ता है। भीतर कोशिकाओं का मधुमक्खियों के छत्ते की तरह निर्मित संघटक स्वरूप है। ये कोशिकाएं सभी स्वतंत्र आत्माएं होती हैं।"
पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी की बहुचर्चित आलेखमाला है - शरीर ही ब्रह्माण्ड। इसमें विभिन्न बिंदुओं/विषयों की आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से व्याख्या प्रस्तुत की जाती है। गुलाब कोठारी को वैदिक अध्ययन में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। उन्हें 2002 में नीदरलैन्ड के इन्टर्कल्चर विश्वविद्यालय ने फिलोसोफी में डी.लिट की उपाधि से सम्मानित किया था। उन्हें 2011 में उनकी पुस्तक मैं ही राधा, मैं ही कृष्ण के लिए मूर्ति देवी पुरस्कार और वर्ष 2009 में राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान से सम्मानित किया गया था। 'शरीर ही ब्रह्माण्ड' श्रृंखला में प्रकाशित विशेष लेख पढ़ने के लिए क्लिक करें नीचे दिए लिंक्स पर -




















शरीर ही ब्रह्माण्ड: माता स्थूल देह - पिता सूक्ष्म आत्मा
शरीर ही ब्रह्माण्ड: स्वधर्म ही श्रेयस्कर
शरीर ही ब्रह्माण्ड: वर्ण सामंजस्य ही विवाह का आधार
शरीर ही ब्रह्माण्ड: आत्मा बिम्ब, शरीर प्रतिबिम्ब, प्राण सेतु
शरीर ही ब्रह्माण्ड: प्राणों का आदान-प्रदान