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Patrika Opinion: चुनाव प्रक्रिया में एक और क्रांति की आहट

लोकतंत्र की मजबूती की दृष्टि से यह वाकई चिंताजनक है कि कई चुनाव क्षेत्रों में करीब आधी आबादी की मतदान में सहभागिता नहीं होती।

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Patrika Desk

Jan 01, 2023

भारत निर्वाचन आयोग

भारत निर्वाचन आयोग

रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (आरईवीएम) का मॉडल विकसित कर चुनाव आयोग ने महत्त्वपूर्ण पहल की है। चुनावों के दौरान यह मशीन उन घरेलू प्रवासियों के लिए वरदान साबित होगी, जो शिक्षा और रोजगार के सिलसिले में अपने चुनाव क्षेत्रों से बाहर रहते हैं। आरईवीएम को चुनाव प्रक्रिया में शामिल करने के बाद जो प्रवासी जहां है, वहीं से मतदान कर सकेगा। चुनाव आयोग 16 जनवरी को नई दिल्ली में इस मॉडल का प्रदर्शन कर राजनीतिक पार्टियों से सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित करेगा। इसके बाद देश में चुनाव प्रक्रिया के एक और क्रांतिकारी कदम की दिशा में आगे बढ़ा जाएगा। इसी तरह की क्रांति की शुरुआत 1982 में हुई थी, जब केरल के एक विधानसभा क्षेत्र में पहली बार ईवीएम का प्रायोगिक तौर पर इस्तेमाल किया गया था। जिस तरह ईवीएम ने चुनाव प्रक्रिया की तस्वीर बदली, उसी तरह का बड़ा बदलाव आरईवीएम का दौर शुरू होने के बाद देखने को मिलेगा।

दरअसल, चुनावों में कम मतदान प्रतिशत चुनाव आयोग की सबसे बड़ी चिंता बना हुआ है। लोकतंत्र की मजबूती की दृष्टि से यह वाकई चिंताजनक है कि कई चुनाव क्षेत्रों में करीब आधी आबादी की मतदान में सहभागिता नहीं होती। चुनाव आयोग के मुताबिक अपने चुनाव क्षेत्रों से बाहर रहने के कारण करीब 30 करोड़ मतदाता मतदान से वंचित रह जाते हैं। शिक्षा या रोजगार की व्यस्तता के कारण उनके लिए अपने क्षेत्र में पहुंचकर मतदान करना सुविधाजनक नहीं होता। आरईवीएम के जरिए ऐसे मतदाताओं को चुनाव प्रक्रिया में शामिल कर मतदान प्रतिशत बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी।

हालांकि आरईवीएम को चुनाव प्रक्रिया का हिस्सा बनाने के लिए आयोग को अभी कई कानूनी, तकनीकी और राजनीतिक अड़चनों को पार करना है। जिस तरह मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोडऩे के प्रस्ताव पर सवाल उठे थे, उसी तरह अब आरईवीएम को लेकर भी विपक्षी दल शंकाएं उठा रहे हैं। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश का कहना है,‘अगर विभिन्न क्षेत्रों की ईवीएम दूसरे स्थानों पर होंगी तो संदेह पैदा हो सकता है। इससे लोगों का चुनाव प्रणाली में भरोसा कमजोर होगा।’ दूसरी तरफ पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस. वाई. कुरैशी ने इसे शानदार पहल बताते हुए कहा कि यह अच्छी बात है कि आयोग यह सब लोकतांत्रिक तरीके से कर रहा है। लोकतंत्र का हित इसी में है कि घरेलू प्रवासियों के मतदान से दूर रहने की समस्या के समाधान के लिए नकारात्मक की बजाय सकारात्मक रवैया अपनाया जाए।