आत्मा सबसे शक्तिशाली पदार्थ है। इसके केन्द्र में ब्रह्म बैठा है। सही बात यह है कि सूक्ष्म शरीर षोडशी आत्मा का आश्रय है। शरीर में ही सूक्ष्म और कारण शरीर रहते है। दोनों की अभिव्यक्ति स्थूल शरीर ही है। प्राण रूप सूक्ष्म शरीर सभी गतिविधियों का संचालन करता है। कारण शरीर या अव्यय पुरुष में सप्तऋषि प्राण रहते हैं। इनसे ही पितर प्राण बनते हैं।
जयपुर•Nov 08, 2024 / 09:17 pm•
Gyan Chand Patni
Hindi News / Prime / Opinion / podcast शरीर ही ब्रह्माण्ड: विवाह-विच्छेद प्राणों का नहीं होता
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