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देश की आर्थिक रफ्तार को गति देने में त्योहारों का योगदान

सतीश सिंह, आर्थिक मामलों के जानकार

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भारत के लोग उत्सवधर्मी हैं इसलिए, इसे त्योहारों का देश कहा जाता है। त्योहार जीवन में संजीवनी का काम करते हैं, जो लोगों को हमेशा ऊर्जावान बनाए रखते हैं। दूसरी तरफ त्योहार रोजगार सृजन और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाकर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का काम भी करते हैं।
हमारे देश में हर साल लाखों-करोड़ों रुपए का कारोबार त्योहारों में किया जाता है। इस साल ऑनलाइन और ऑफलाइन प्लेटफॉर्म पर करीब छह लाख करोड़ रुपए का कारोबार होने का अनुमान है, जिसमें ऑनलाइन पर 1.20 लाख करोड़ रुपए के कारोबार का अनुमान लगाया जा रहा है, जो देश की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.2% है। बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों ने त्योहारों और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में हालिया बदलाव का फायदा उठाना भी शुरू कर दिया है। उन्होंने पहले ही डिस्काउंट ऑफर देने शुरू कर दिए थे। अनुसंधान फर्म ‘डेटम इंटेलिजेंस’ की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2025 में जीएसटी दरों को आमजन के अनुकूल बनाने से इस साल त्योहारी बिक्री 27% बढ़कर 1.20 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकती है, क्योंकि टैक्स स्लैब को कम करने से कई जरूरी उत्पादों की कीमत में भारी कमी आई है, जिससे बिक्री में 15% से 20% की बढ़ोतरी होने की आशा है।
नई जीएसटी व्यवस्था में अब सिर्फ 5% और 18% के 2 टैक्स स्लैब रखे गए हैं और कुछ दरों को पूरी तरह से हटा दिया गया है, जिससे ग्राहकों को 10% तक की बचत होने का अनुमान है। नई जीएसटी व्यवस्था में टीवी, एसी, इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स पर विशेष तौर पर बचत होगी। अनुसंधान फर्म की रिपोर्ट के मुताबिक विगत तीन वर्षों में पहली बार शहरी उपभोक्ताओं के खर्च में वृद्धि देखी गई है। सिर्फ जुलाई महीने में 37.6% उपभोक्ताओं ने अपने गैर-जरूरी खर्च में वृद्धि की है।
इस मामले में ग्रामीण और भी आगे हैं। उन्होंने इस मद में अपने खर्च को 54.7% बढ़ाया है, जो विगत 2 वर्षों में सबसे अधिक है। ये आंकड़े यह भी बता रहे हैं कि हाल के महीनों में लोगों की आय में भी वृद्धि हुई है, जिसके कारण लोग बचत भी कर रहे हैं और खर्च भी और इसी वजह से ग्रामीण-शहरी क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई है, जिससे समावेशी विकास को मजबूती मिल रही है।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने बीते महीने एक सर्वे करवाया था, जिसके अनुसार इस साल सिर्फ रक्षा बंधन, गणेश पूजा, नवरात्रि और दिवाली के दौरान लगभग 4.80 लाख करोड़ रुपए के ऑफलाइन कारोबार होने का अनुमान है। गौरतलब है कि पिछले साल यह आंकड़ा करीब 3.5 लाख करोड़ रुपए का था। इस तरह, इस साल ऑफलाइन कारोबार में पिछले साल के मुकाबले 27% वृद्धि होने का अनुमान है। हालांकि, इस साल रक्षाबंधन में लोगों के खर्च में पिछले साल के मुकाबले 75 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है। एक अनुमान के अनुसार त्योहार के दौरान देश के लगभग 70 करोड़ ग्राहक अपनी क्षमता के अनुसार खरीदारी करते हैं। त्योहारों में कई तरह के उत्पादों की मांग और आपूर्ति में उल्लेखनीय इजाफा होता है। उदाहरण के तौर पर दीपावली में जब लोग घर की सफाई, मरम्मत और रंग-रोगन करते हैं तो हार्डवेयर के सामान, पेंट, कलर, आदि की खरीद-फरोख्त बढ़ जाती है। इस समय बड़ी संख्या में विदेशों से पर्यटक हमारे देश आते हैं। इनकी संख्या में पिछले साल के मुकाबले 67% की वृद्धि हुई।
कहा जा सकता है कि भारत में त्योहारों का महत्त्व अतुलनीय है। ये सिर्फ लोगों की आस्था से ही नहीं जुड़े हुए हैं, बल्कि लोगों को रोजगार मुहैया कराने और खर्च और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने का भी काम करते हैं, जिससे अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है।

त्योहारी सीजन के दौरान इस वर्ष लगभग 4.80 लाख करोड़ रुपए का ऑफलाइन कारोबार होने का अनुमान लगाया गया है। यह आंकड़ा देश के व्यापार जगत के लिए बेहद उत्साहजनक माना जा रहा है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की रिपोर्ट के अनुसार, रक्षा बंधन, गणेश पूजा, नवरात्रि और दिवाली जैसे प्रमुख त्योहारों के समय बाजारों में भारी खरीदारी देखने को मिलेगी। बीते वर्ष की तुलना में इस बार व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना जताई गई है, जिससे यह स्पष्ट है कि त्योहारों के मौसम में देश की आर्थिक गतिविधियाँ और उपभोक्ता खर्च दोनों में तेजी आएगी।