scriptलद्दाख में नजर आने लगा है जलवायु परिवर्तन का असर | Patrika News
ओपिनियन

लद्दाख में नजर आने लगा है जलवायु परिवर्तन का असर

पर्यटन प्रबंधन की दिशा में कदम उठाना अनिवार्य है। पर्यटकों की भीड़ को नियंत्रित करने के साथ वाहनों की संख्या पर नियंत्रण लगाया जाना चाहिए। साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन भी दिया जाए।

जयपुरSep 13, 2024 / 04:40 pm

विकास माथुर

लद्दाख को अद्वितीय प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है, लेकिन वह गंभीर जलवायु संकट का सामना कर रहा है। ग्लेशियर का तेजी से पिघलना इस संकट का प्रमुख संकेतक है। ग्लेशियर नदियों, नालों और जलाशयों के लिए जीवनदायी हैं, लेकिन अब वे तेजी से पिघल रहे हैं। इससे केवल ताजे पानी की उपलब्धता ही कम नहीं हो रही, बल्कि अस्थिर ग्लेशियर झीलों का निर्माण भी बढ़ रहा है। इनके फटने का खतरा बना रहता है। ग्लेशियर की घटती मात्रा पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को भी गड़बडा रही है।
तापमान में वृद्धि और मौसम में बदलाव के कारण लेह-लद्दाख का पारिस्थितिकी तंत्र ई चुनौतियों का सामना कर रहा है। लद्दाख में संकट बढ़ रहा है। तत्काल कार्रवाई की जरूरत है ताकि इस ऊंचे दर्रों की भूमि को बचाया जा सके और इसे स्थायी रूप से सुरक्षित किया जा सके। सबसे पहले, पर्यटन प्रबंधन की दिशा में कदम उठाना अनिवार्य है। इसके तहत, पर्यटकों की भीड़ को नियंत्रित करने के साथ वाहनों की संख्या पर नियंत्रण लगाया जाना चाहिए। साथ ही इस क्षेत्र में इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन भी दिया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त पर्यावरणीय पर्यटन प्रथाओं को अपनाने और पर्यटकों की संख्या की सीमा निर्धारित करने की आवश्यकता है, जिससे नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा की जा सके।
जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में, ग्लेशियर पानी के कुशल उपयोग और वर्षा जल संचयन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। आधुनिक सिंचाई तकनीकों को अपनाने और आर्टिफिशियल ग्लेशियर जैसी नवाचारी विधियों का उपयोग करके सूखे के दौरान जल आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है। साथ ही, जलवायु-संवेदनशील कृषि को बढ़ावा देने के लिए फसल विविधीकरण और ग्रीनहाउस खेती का समर्थन किया जाना चाहिए। वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए, फॉसिल फ्यूल उपयोग पर नियंत्रण और हरित बफर जोन की स्थापना की जानी चाहिए। सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना और साइकिल-फ्रेंडली इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करना वायु प्रदूषण को कम करने में सहायक होगा। कचरा प्रबंधन और पुनर्चक्रण के लिए व्यापक कचरा पृथक्करण और पुनर्चक्रण केंद्रों की स्थापना की जानी चाहिए।
शहरी योजना, बुनियादी ढांचे और संवेदनशील क्षेत्रों में निर्माण पर नियंत्रण और आपदा प्रबंधन योजनाओं का विकास किया जाना चाहिए। ऊर्जा-कुशल निर्माण मानकों को लागू करना और पुराने भवनों को रेट्रोफिट करने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना आवश्यक है। इसके अलावा, समुदाय की भागीदारी और जलवायु शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शैक्षिक कार्यक्रमों और प्रशिक्षण पर ध्यान दिया चाहिए। इन उपायों को लागू करके लद्दाख की पर्यावरणीय और सामाजिक चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है। इस अद्वितीय क्षेत्र की रक्षा और सतत विकास के लिए यह जरूरी है। लद्दाख की प्रकृति और संस्कृति का अत्यधिक महत्त्व है। इसकी सुंदरता और विरासत को बचाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
जलवायु संकट के कारण क्षेत्र की पर्यावरणीय और सामाजिक स्थिति तेजी से बिगड़ रही है। इसके समाधान के लिए शीघ्रता से ठोस कदम उठाना आवश्यक है। यह केवल पर्यावरण संरक्षण की बात नहीं है, बल्कि स्थानीय जनसंख्या की सुरक्षा, सांस्कृतिक विरासत की रक्षा और वैश्विक जलवायु संतुलन में योगदान देने की भी बात है। इसलिए, हमें न केवल प्रौद्योगिकी और प्रबंधन में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, बल्कि समुदायों के साथ मिलकर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने की रणनीति भी तैयार करनी चाहिए। अगर हम सब मिलकर काम करें, तो हम इस क्षेत्र की अद्वितीय धरोहर को बचा सकते हैं और इस क्षेत्र को आने वाली पीढिय़ों के लिए सुरक्षित-समृद्ध बना सकते हैं।
— निरंजन देव भारद्वाज

Hindi News / Prime / Opinion / लद्दाख में नजर आने लगा है जलवायु परिवर्तन का असर

ट्रेंडिंग वीडियो