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Patrika Opinion: युद्ध समाप्ति के लिए हो सार्थक पहल

पुतिन ने पिछले महीने सीजफायर की घोषणा जरूर की थी लेकिन उस पर अमल नहीं किया। युद्ध से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की जो लोकप्रियता थी, उसमें गिरावट से कोई इनकार नहीं कर सकता।

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Patrika Desk

Feb 20, 2023

Patrika Opinion: युद्ध समाप्ति के लिए हो सार्थक पहल

Patrika Opinion: युद्ध समाप्ति के लिए हो सार्थक पहल

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध आने वाले दिनों में क्या करवट लेगा, कोई नहीं जानता। एक साल में न तो रूस यूक्रेन को हरा पाया और न ही उसके मनोबल को तोड़ पाया। युद्ध की बरसी से चार दिन पहले अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कीव पहुंच कर दुनिया को चौंका जरूर दिया। बाइडन ने यूक्रेन को जरूरी हथियार मुहैया कराते रहने का आश्वासन देकर यह जता दिया कि अमरीका और नाटो देश यूक्रेन को मझधार में छोडऩे वाले नहीं। लेकिन एक सवाल जो सबके मन में कौंधता है, वह यह कि एक साल में आखिर रूस जो चाहता था वह हासिल कर पाया या नहीं। दुनिया भी इस सवाल का जवाब जानना चाहती है और 15 करोड़ रूसी नागरिक भी।

युद्ध शुरू होने के ठीक बाद यही माना जा रहा था कि शायद रूस चंद दिनों में ही यूक्रेन पर कब्जा जमा लेगा, लेकिन नतीजा सबके सामने है। एक साल की लड़ाई में यूक्रेन ने बहुत कुछ खोया है तो रूस ने भी कम नुकसान नहीं झेला है। यह जरूर है कि रूस के सैनिक कम मारे गए। लेकिन उसके सैनिकों का मनोबल गिरा है। रूस की अधिकांश जनता भी अपनी सरकार के फैसले से खुश नहीं है। पुतिन ने पिछले महीने सीजफायर की घोषणा जरूर की थी लेकिन उस पर अमल नहीं किया। युद्ध से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की जो लोकप्रियता थी, उसमें गिरावट से कोई इनकार नहीं कर सकता। दोनों देशों को हुए आर्थिक नुकसान का आकलन अभी भले ही नहीं हुआ है, लेकिन इसका भार तो आखिरकार दोनों देशों की जनता को ही उठाना पड़ेगा।

एक और सवाल है जिसका जवाब सब चाहते हैं। आखिर दुनिया में शांति की बात करने वाले संयुक्त राष्ट्र और अन्य देशों की भूमिका को किस तरह देखा जाए? संयुक्त राष्ट्र ने शांति की अपील के अलावा कुछ गंभीर किया हो, ऐसा नजर नहीं आया। दुनिया युद्ध समाप्त कराने के लिए भारत की तरफ भी देख रही है। रूस दशकों से हमारा मित्र देश रहा है। मुश्किल दौर में हमारे साथ खड़ा भी नजर आया है। ऐसे में भारत को दोनों देशों के बीच युद्धविराम के लिए सार्थक पहल करनी चाहिए, क्योंकि मुद्दा किसी की जीत या हार का नहीं है। मुद्दा मानवता को बचाने का है। दुनिया ने ऐसे युद्ध भी देखे हैं जो सालों चले हैं। ऐसे युद्धों में सिवाय बर्बादी के कुछ हासिल नहीं हुआ। रूस को भी समझना चाहिए कि लंबा युद्ध उसके लिए भी परेशानियां लेकर ही आएगा।