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अग्निपथ की तर्ज पर शुरू हो उद्यमपथ योजना

सशस्त्र बलों की तीनों सेवाओं में कमीशंड अधिकारियों के पद से नीचे के पदों पर युवा सैनिकों की भर्ती के लिए प्रारम्भ की गई अग्निपथ योजना चर्चा में है। नीति निर्धारकों को राज्य के स्वामित्व वाले निगमों में इस देश के तकनीकी रूप से शिक्षित युवाओं के लिए भी इसी तरह की रोजगारपरक संभावनाओं पर विचार करना चाहिए।

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जयपुर

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Patrika Desk

Nov 03, 2022

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अग्निपथ की तर्ज पर शुरू हो उद्यमपथ योजना

मिलिंद कुमार शर्मा
प्रोफेसर, एमबीएम विश्वविद्यालय, जोधपुर

सशस्त्र बलों की तीनों सेवाओं में कमीशंड अधिकारियों के पद से नीचे के पदों पर युवा सैनिकों की भर्ती के लिए प्रारम्भ की गई अग्निपथ योजना चर्चा में है। नीति निर्धारकों को राज्य के स्वामित्व वाले निगमों में इस देश के तकनीकी रूप से शिक्षित युवाओं के लिए भी इसी तरह की रोजगारपरक संभावनाओं पर विचार करना चाहिए। शीर्ष सूचीबद्ध सार्वजनिक उपक्रमों के वार्षिक प्रतिवेदनों (वित्तीय वर्ष 2021-22 सहित) के विश्लेषण से सार्वजनिक क्षेत्र के कमोबेश अधिकांश उपक्रम विभिन्न श्रेणियों के कर्मचारियों की कम संख्या की गंभीर समस्या से जूझते दिखाई देतेे हैं।
अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण 2019-20 के प्रतिवेदन के अनुसार वर्तमान में भारत में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, नई दिल्ली द्वारा मान्यता प्राप्त 3805 डिप्लोमा स्तर के तकनीकी संस्थान चल रहे हैं। गुजरात और छत्तीसगढ़ को अपवादस्वरूप छोड़कर, सामान्यत: ये संस्थान राज्य तकनीकी शिक्षा निदेशालय द्वारा संचालित किए जाते हंै। गुजरात और छत्तीसगढ़ राज्यों में पॉलिटेक्निक संस्थान विश्वविद्यालयों से संबद्ध एवं संचालित होते हैं। इस प्रकार के स्टैंड-अलोन संस्थान मुख्य रूप से निजी क्षेत्र द्वारा चलाए जाते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित होते हैं। इसके अतिरिक्त, कौशल विकास मंत्रालय के प्रशिक्षण महानिदेशालय के माध्यम से 1 जनवरी, 2021 तक देश में कुल 14779 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान और औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र चल रहे हैं। साथ ही कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने राज्यों को सामान्य शिक्षा के साथ एकीकृत और समग्र रूप से कौशल शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कौशल विश्वविद्यालय खोलने के लिए भी प्रोत्साहित किया है। इसके अतिरिक्त, वर्ष 2022 तक भारत में 30 करोड़ से अधिक लोगों को विभिन्न प्रकार के कौशल में प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से सरकार ने वर्ष 2015 में कौशल भारत अभियान भी शुरू किया था।
सरकार की ओर से किए गए विभिन्न प्रयासों के उपरांत भी, दिसंबर 2021 में सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की ओर से जारी प्रतिवेदन के अनुसार भारत में रोजगार की तस्वीर निराशाजनक दिखाई पड़ती है। इसके अनुसार, बेरोजगारी की दर 7.91 प्रतिशत है। लगभग 5 करोड़ 30 लाख भारतीयों के बेरोजगार होने की सूचना है, जिसमें महिलाओं का भी बड़ा हिस्सा शामिल है। जनवरी 2022 के आंकड़े रोजगार योग्यता में 1.34 प्रतिशत का मामूली सुधार दर्शाते हैं। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय के आंकड़े भी देश में रोजगार की निराशाजनक ही तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। इसने वर्ष 2017-18 में बेरोजगारी दर 6.1 प्रतिशत बताई है, जो चार दशकों में सबसे अधिक है और वह भी वैश्विक महामारी के दौर से पहले। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि कोविड महामारी ने देश भर में इस स्थिति को और भी भयावह कर दिया है। साथ ही यह चिंताजनक है कि श्रम बल सर्वेक्षण वर्ष 2019-20 के अनुसार शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में औपचारिक प्रशिक्षण में श्रम बल की भागीदारी में लगातार कमी बताई गई है। यहां यह कहना अनुचित नहीं होगा कि तकनीकी शैक्षणिक संस्थानों एवं उद्योगों में वर्तमान बाजार मांग की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए परस्पर समुचित सामंजस्य का अभाव भी काफी सीमा तक इसके लिए जिम्मेदार है।
अत: यह आवश्यक एवं श्रेयस्कर होगा कि सरकार के स्वामित्व वाले निगमों में आज के तकनीकी रूप से प्रशिक्षित युवा शक्ति के लिए, अब सरकार उद्यमपथ योजना शुरू करे, जो अग्निपथ योजना के समकक्ष ही भारत में एक अल्पकालिक रोजगार योजना हो। यहां यह उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम जो वर्तमान में कार्यबल की कमी की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं, वे इस जनसांख्यिकीय लाभांश से तत्काल ही लाभान्वित होकर उच्च विकास पथ और आर्थिक समावेशन प्राप्त कर सकते हैं। अग्निपथ योजना के समान अपना अल्प कार्यकाल पूर्ण होने पर, विभिन्न धाराओं एवं विषयों में अनुभवी और प्रशिक्षित जनशक्ति उद्यमवीर के रूप में निश्चित रूप से या तो निजी उद्यमों में (विशेषत: सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योगों) समाहित होने या अपने स्वयं के स्वतंत्र व्यवसाय चलाने में सक्षम होगी। स्टार्टअप इंडिया, स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्टैंडअप इंडिया आदि योजनाएं भी इस प्रकार से प्रशिक्षित उद्यमवीर युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहायक होगी। इसके अतिरिक्त सरकार भी विभिन्न ग्रामीण और महिला केंद्रित अभियानों और अन्य कदमों के माध्यम से ग्रामीण भारत में युवाओं को स्वरोजगार की दिशा में संलग्न करने के लिए सक्रिय रूप से प्रतिबद्ध है। अत: देश भर में विशेषत: औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आइटीआइ) और डिप्लोमा स्तर के तकनीकी संस्थानों से निकले अनेकोनेक छात्र-छात्राओं के उज्ज्वल भविष्य के लिए यह योजना मील का पत्थर सिद्ध हो सकती है। इसलिए इस तरह की योजना पर गंभीरता से विचार जरूर किया जाना चाहिए।